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सीएम खट्टर इन एक्शन: हरियाणा पुलिस में बड़ा फेरबदल

manohar-lal-khattar-pti-56d0b1bda1f11_exlstदस्तक टाइम्स एजेंसी/जाट आंदोलन के दौरान भड़की भीषण हिंसा मामले में दिल्ली में हुई बैठक से वापस लौटते ही मुख्यमंत्री खट्टर ने हरियाणा पुलिस प्रशासन में बड़ा फेरबदल कर दिया।

डीजीपी क्राइम डा. केपी सिंह, आईजी होमगार्ड्स परमजीत सिंह अहलावत, डीसीपी वेस्ट गुड़गांव कुलविंदर सिंह, डीसीपी अंबाला शहरी जश्नदीप सिंह रंधावा समेत यमुनानगर के एसपी अरुण नेहरा, कैथल के एसपी कृष्ण मुरारी, रेवाड़ी के एसपी बलवान सिंह, झज्जर के एसपी सुमित कुमार सहित गुड़गांव के दो अन्य पुलिस अधिकारी सुमेर प्रताप सिंह और संगीता रानी का तबादला किया गया है।

इस मामले में हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) यशपाल सिंघल और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) शत्रुजीत कपूर पर गाज गिरेगी। हरियाणा भवन में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में हिंसा पर व्यापक नोकझोंक के बाद सबसे पहले इन अधिकारियों और बाद में अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर सहमति बनी।

हिंसा के दौरान ज्यादा नुकसान झेलने वाले परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने पर भी सहमति बनी, जबकि गैर-जाट विधायकों ने श्वेत पत्र जारी कर सरकारी नौकरियों में विभिन्न जातियों की भागीदारी सार्वजनिक करने की मांग की।

इस दौरान राज्य सरकार के दो मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ सिर्फ विधायकों के ही नहीं, बल्कि गैर-जाट मंत्रियों के भी निशाने पर रहे। एक मंत्री ने तो इन मंत्रियों के विभागों में कटौती करने की मांग तक कर डाली।

साथ ही इन पर आंदोलन के बारे में सरकार को अंधेरे में रखने तक का आरोप लगाया। बैठक के शुरुआत में जब हिंसा पर चर्चा शुरू हुई, तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले भावुक हुए और फिर रोने लगे।

जब बैठक की शुरुआत में विधायकों ने आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा का ब्योरा पेश करना शुरू किया, तो सीएम खट्टर बेहद भावुक हो गए। गैर-जाट विधायकों की ओर से डीजीपी और एडीजीपी सीआईडी पर सीधा हमला बोला गया।

सूत्रों के मुताबिक बैठक में तीखी नोंकझोंक के बीच पहले इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर सहमति बनी। इसके बाद सीएम ने भरोसा दिया कि इस दौरान पक्षपात बरतने और मूक दर्शक बने रहने वाले सिपाही से लेकर उच्च अधिकारियों तक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच राज्य सरकार के एक गैर-जाट मंत्री ने जाटों को आरक्षण दिए जाने का तीखा विरोध किया।

उन्होंने कहा कि इस पर फैसला लेने से पहले यह पता करना चाहिए कि इस समय किस जाति के कितने लोग सरकारी नौकरियों में हैं। इस दौरान एक मंत्री विक्रम ठेकेदार ने अभिमन्यु और धनखड़ के पास विभागों की भरमार होने का मामला उठाया और इसमें कटौती की मांग की।
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कार्रवाई के बाद ही सौहार्द की कोशिश
संगठन महासचिव राम लाल ने विधायकों से गैर-जाट बिरादरी की ओर से बुलाए गए हरियाणा बंद के आह्वान को वापस लेने की दिशा में प्रयास करने की अपील की। हालांकि सभी गैर-जाट विधायकों ने इसे यह कहकर ठुकरा दिया कि इससे पहले दोषी दंगाइयों और प्रशासन से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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दोषियों को मुआवजा नहीं
बैठक में गैर-जाट विधायकों ने हिंसा के दौरान पुलिस कार्रवाई में मारे गए लोगों को मुआवजा देने का विरोध किया। विधायकों ने हिंसा में शामिल लोगों की संपत्ति कुर्क करने की मांग की। सीएम खट्टर ने एक बार फिर आश्वस्त किया कि दोषियों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिलेगा।
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रक्षात्मक रहे जाट नेता
बैठक के दौरान जाट मंत्री और विधायक खामोश रहे। हालत यह रहे कि इन लोगों ने सांसद राजकुमार सैनी के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग नहीं की।

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