माया को स्मृति ईरानी का जवाब, ‘एक बच्चे का सियासी मोहरे के तौर पर किसने इस्तेमाल किया’
दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली: राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार को जैसे ही शुरू हुई, पहले घंटे में ही गुस्से में तीखे शब्दों के आदान-प्रदान, नारेबाजी और तीन स्थगन देखने को मिले। इस घटनाक्रम से संसद के बजट सत्र के बाधारहित चलने के सरकार और विपक्ष के बीच बनी सहमति की असलियत सामने आ गई।
दलित को भी जांच पैनल में शामिल किया जाए
राज्यसभा में शून्यकाल जैसे ही शुरू हुआ, बीएसपी प्रमुख मायावती ने पिछले माह रोहित वेमुला की खुदकुशी से जुड़ा मसला उठाया। उन्होंने मांग की कि इस मामले की जांच कर रहे पैनल में दलित को भी शामिल किया जाए। मायावती ने आरोप लगाया कि रोहित को खुदकुशी के लिए मजबूर करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मोदी सरकार समुचित कार्रवाई नहीं कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने दो केंद्रीय मंत्रियों बंडारू दत्तात्रेय और स्मृति ईरानी के इस्तीफे की भी मांग की।बीजेपी की ओर से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मायावती का जवाब देते हुए कहा, ‘एक बच्चे का राजनीतिक मोहरे (टूल) के तौर पर किसने उपयोग किया।’ उन्होंने इस मसले पर सदन में तुरंत बहस कराए जाने की मांग की।
हंगामे से कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित हुई
बीएसपी के सांसदों ने इसके जवाब में सरकार विरोधी नारे लगाए और वेल में आए गए। इसके चलते राज्यसभा सभापति पीजे कुरियन को कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विरोध का खत्म करने के लिए संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पहल करते हुए बताया कि इस मसले पर बहस के लिए बुधवार को ही दोपहर बाद का समय नियत है। उन्होंने कहा, ‘सदन जेएनयू और हैदराबाद मामले पर आज बाद में बहस करने पर पहले ही सहमत है।’ कांग्रेस की ओर से कहा गया कि उसे इस पर कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन बीएसपी ने अपनी ओर हंगामे के साथ विरोध जताना जारी रखा। गौरतलब है कि दलित वर्ग का ज्यादातर समर्थन बीएसपी को हासिल है। पार्टी के सूत्रों ने कहा कि वे रोहित वेमुला के मुद्दे को उठाएंगे जबकि दूसरी पार्टियां मुख्य रूप से जेएनयू मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।