मास्टरकार्ड के एक कदम से आपके डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड को हो सकता है खतरा
पेमेंट कंपनी मास्टरकार्ड ने भारत सरकार की भारत में डेटा रखने की बात मान ली है। कंपनी ग्राहकों का डेटा विदेशी सर्वर से डीलिट कर रही है। कंपनी के मुताबिक इससे आपके कार्ड की सुरक्षा में कमी आ सकती है।
नई दिल्ली: मास्टरकार्ड के एक कदम से आपके डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड को खतरा हो सकता है। ये कुछ समय के लिए बंद भी हो सकता है। वैश्विक स्तर पर भुगतान सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी अमेरिकी कंपनी मास्टरकार्ड ने रिजर्व बैंक से कहा है कि वह एक ‘निश्चित’ तिथि से भारतीय कार्डधारकों की सूचनाओं (डेटा) को विदेशी कंप्यूटर-सर्वर से मिटाने जा रही। उसका कहना है कि कुछ समय के लिए इससे कार्ड की ‘सुरक्षा’ में कमी आ सकती है। मास्टरकार्ड, इंडिया एंड और दक्षिण एशिया प्रभाग के प्रभारी पौरुष सिंह ने कहा किआंकड़ों को हटाना ‘बटन दबाने’ जितनी आसान प्रक्रिया नहीं है क्योंकि लोग आप पर दंड लगा सकते हैं, लेनदेन में विवाद जैसी स्थिति हो सकती है हमने आरबीआई को प्रस्ताव दे दिया है और उसके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। सिंह ने सिर्फ संकेत दिया है।
कार्ड बंद होने की स्थिति हालांकि थोड़े समय के लिए ही हो सकती है। कंपनी 200 से अधिक देशों में परिचालन करती है लेकिन भारत के अलावा किसी अन्य देश ने उसे अपने नागरिकों से संबंधित सूचनाओं को विदेशी सर्वर से मिटाने के लिए नहीं कहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अप्रैल में नये नियम जारी किये थे जिमें भुगतान कंपनियों को भारतीय नागरिकों के लेनदेन से जुड़े सभी आंकड़े भारत में स्थापित कंप्यूटर डाटा-संगह सुविधाओं में ही जखना अनिवार्य कर दिया गया है।यह नियम 16 अक्टूबर से लागू हो गया है।
मास्टकार्ड ने कहा है कि सभी भारतीय के नये लेनदेन से जुड़े आंकड़ों को 6 अक्टूबर से उसके पुणे के तकनीकी केंद्र में स्टोर किया जा रहा है। सिंह ने कहा, ‘आरबीआई को जो प्रस्ताव दिया गया है कि उसमें कहा गया है कि हम सभी जगह से डेटा हटाना शुरू कर देंगे, चाहे वो कार्ड नंबर हो या लेनदेन से जुड़ी जानकारियां हो। आंकड़ों को केवल भारत में स्टोर किया जायेगा हम आंकड़े हटाने शुरू कर देंगे।’ सभी विदेशी पेमेंट कंपनियों को रिजर्व बैंक के नियम के तहत पेमेंट डेटा के आंकड़े भारत में ही रखने होंगे। इसमें गूगल, अमेजन, व्हाट्सप और वीजा जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।