मीरा,गांधी,अंबेडकर या स्वामीनाथन में कौन हो सकता है विपक्ष का उम्मीदवार ?
राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ एकजुट विपक्ष एक भारी भरकम उम्मीदवार उतारने के मूड में दिखाई दे रहा है. वाममोर्चा के अनुसार इस मसले पर 22 जून को एक बैठक में निर्णय होगा. सूत्रों के अनुसार गैर राजग समर्थित दल पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, भारतीय रिपब्लिक बहुजन महा संघ के नेता व बाबा साहेब आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर और महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत्त नौकर शाह गोपाल कृष्ण गांधी के साथ हरित क्रांति के जनक कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन नाम पर विचार विमर्श हो रहा है.
संख्याबल और आंकड़ों पर गौर करें तो यह राष्ट्रपति चुनाव पूरी तरह से राजग के पक्ष में जाता दिख रहा है. इसका पहला कारण है कि राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के नाम पर विपक्ष बंटा हुआ नजर आ रहा है. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस, वाममोर्चा, तृणमूल के कोविंद के नाम पर राज़ी होने की संभावना बेहद कम है.
राजग के पक्ष में लगभग में लगभग 60 प्रतिशत वोट हो सकते हैं,वहीं विपक्ष के उम्मीदवार को करीब 35 प्रतिशत वोट ही मिलते दिख रहे हैं.कोविंद के नाम पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन के बाद विपक्ष के सारे समीकरण बिगड़ गए हैं. मायावती ने कोविंद की उम्मीदवारी का दलित चेहरे के तौर पर खुलकर विरोध करने से परहेज़ किया है.
विपक्ष के लिए असल से ज्यादा प्रतीकात्मक चुनाव
दरअसल, 2017 का यह राष्ट्रपति चुनाव कई अर्थों में प्रतीकात्मक भी है. इसमें सवाल यह नहीं है कि इस चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार जीतेगा या नहीं. इसमें असली सवाल यह छिपा है कि क्या विपक्ष की एकता इस बहाने बन पाएगी और मोदी सरकार और जनता के बीच ‘विपक्षी एकता’ का संदेश दे पाएगी.
लेकिन कोविंद को लेकर नीतीश के समर्थन, मायावती के ‘मध्यममार्गी’ बयान ने विपक्ष के एकता संदेश की भ्रूण हत्या कर दी है. नीतीश के इस कदम से सबसे ज्यादा सदमा लालू यादव को लगा है. इस वक्त लालू जिस तरह से परेशानियों के चक्र में फंसे हैं और नीतीश से एक किस्म के मनोवैज्ञानिक सहयोग की उम्मीद लगाए बैठे थे, नीतीश ने उसपर पानी फेर दिया है.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रामनाथ कोविंद को राजग का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर असंतोष व्यक्त किया है. ममता बनर्जी ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी या सुषमा स्वराज या एलके आडवाणी जैसे कद वाले किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जा सकता था. कांग्रेस की रणनीति: पीपुल्स प्रेसिडेंट
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव में राजग के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के मुकाबले कांग्रेस ने हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन या मीरा कुमार में से किसी एक को चुनावी मैदान में उतारने का मन बनाया है.
कांग्रेस की रणनीति ये है कि किसानों का मसीहा कहे जाने वाले एमएस स्वामीनाथन, कोविंद को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. वे कांग्रेस का किसान कार्ड हो सकते हैं.
इसके साथ ही कांग्रेस इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा दिल दिखाने के लिए सहयोगियों की पसंद को ही समर्थन देना चाहती है. स्वामीनाथन किसी दल के नहीं हैं और उनका कद भी बड़ा है. स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांति का जनक माना जाता है. यह देश के मशहूर कृषि वैज्ञानिक हैं. स्वामीनाथन ने अन्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया है. स्वामीनाथन को पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.1987 में उन्हें विश्व खाद्य पुरस्कार दिया गया था. उन्हें हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए इस सम्मान से नवाजा गया था. वे यह पुरस्कार हासिल करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. नार्मन बोरलॉग ने इस पुरस्कार की शुरुआत की थी.
स्वामीनाथन के नाम पर आम सहमति न बन पाने को सूरत में दूसरे विकल्प भी कांग्रेस के पास तैयार हैं. अगर वाममोर्चा सहित अन्य दल दलित के मुकाबले दलित ही उतारने पर ज़ोर दें तो पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को मैदान में उतारा जा सकता है. बसपा प्रमुख मायावती पहले ही संकेत दे चुकी हैं कि कोविंद के दलित होने के नाते वे उनका विरोध नहीं कर सकतीं, जब तक कि उनसे योग्य उम्मीदवार यूपीए न उतारे. सो मायावती को विपक्षी एकता की हद में रखने के लिए कांग्रेस बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार के नाम पर सबको सहमत करा सकती है. इसके साथ ही वह नीतीश कुमार को परेशानी में डालने की कवायद को भी सरअंजाम दे सकती है. नीतीश के लिए दलित स्त्री के बजाए दलित पुरूष के समर्थन में बने रहना सहज नहीं होगा.
इस लिहाज से देखे तो विपक्ष की तरफ से किसी राजनेता की जगह एक पीपुल्स प्रेसिडेंट पर दांव खेले जाने की संभावना अधिक है.
वाममोर्चा की पहली पसंद है प्रकाश अंबेडकर
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के पोते और पूर्व सांसद प्रकाश अंबेडकर भी वाम मोर्चा के उम्मीदवार बनने की रेस में पहली पसंद के तौर पर उभर रहे हैं.
वामपंथी दलों के सूत्रों के अनुसार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी अंबेडकर की उम्मीदवारी के बाबत कांग्रेस और गैर-राजग पाटर्यिों की राय जानने के लिए उनसे अनौपचारिक विचार-विमर्श कर रहे हैं.प्रकाश अंबेडकर राजनीतिक दल भारिपा बहुजन महासंघ के नेता हैं. वह 13वीं लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. उन्होंने महाराष्ट्र के अकोला से दो बार लोक सभा में अपनी जगह बनाई है. उन्होंने राज्यसभा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. अंबेडकर और वामपंथियों के बीच रोहित वेमुला को लेकर हुए देशव्यापी प्रतिरोध प्रदर्शनों के दौरान करीबी बढ़ी थी. वाममोर्चा प्रकाश अंबेडकर के बहाने अंबेडकर की वैचारिक और राजनीतिक विरासत को अपने साथ होने का दावा कर सकता है.
आप से सत्ता पक्ष और विपक्ष की समान दूरी
इस बीच कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के चयन को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) से दूरी बना रखी है. राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में 9000 मतों की भागीदारी वाली आप को गुरूवार को होने वाली बैठक के लिए अब तक न्यौता नहीं भेजा गया है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, वैंकेया नायडू और अरुण जेटली की मौजूदगी वाली समिति ने सभी विपक्षी दलों से विचार-विमर्श के दौरान भी आप से कोई संपर्क नहीं किया गया था. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने सोची समझी रणनीति के तहत इस मामले में आप से दूरी बना कर रखी है. कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के खिलाफ आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के अपमानजनक बयानों के मद्देनजर पार्टी ने आप से दूरी बनाकर रखी है. ऐसा माना जा रहा है कि एनसीपी ने भी आप को विपक्ष के मंच पर नहीं बुलाने की वकालत की है.
इस बीच आप से विपक्ष के परहेज को देखते हुए केजरीवाल जदयू नेता शरद यादव और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर विचार विमर्श कर चुके है. गोपाल कृष्ण गांधी भी दौड़ में हैं
इन सब से इतर गोपाल कृष्ण गांधी भी दौड़ में बने हुए हैं. महात्मा गांधी के पोते 71 वर्षीय गोपाल कृष्ण गांधी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी के साथ साथ बंगाल के पूर्व गवर्नर भी रह चुके हैं.
देश के सर्वोच्च पद के लिए विपक्ष गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर सहमत हो सकता है. संसद के गलियारों में चर्चा है कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष में बीजेपी के खिलाफ गोपाल कृष्ण गांधी को उतारने की बातें सामने आ रही थी. लेकिन जब उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिये उनकी उम्मीदवारी के बारे में कहना अभी कुछ भी कहना सम्भव नहीं है. मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हूं.ममता बनर्जी भी गोपाल कृष्ण गांधी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के पक्ष में हैं.
इस बाबत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सीताराम येचुरी ने गोपाल कृष्ण गांधी से बात भी की है.इससे पहले साल 2012 में तृणमूल कांग्रेस एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपराष्ट्रपति चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने इसको ठुकरा दिया था.
सिर्फ एक बार ही निर्विरोध चुने गए है राष्ट्रपति
इस सब के बीच राष्ट्रपति पद के चुनाव के इतिहास में सिर्फ एक बार ही निर्विरोध राष्ट्रपति चुने गए. इसके अलावा हर बार सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के उम्मीदवार के बीच मुकाबला हुआ. नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध चुने गए थे और वे 1977 से 1982 तक राष्ट्रपति रहे.