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रणजी ट्रॉफी फाइनल: पहले दिन विदर्भ के खिलाफ सौराष्ट्र का बना रहा दबदबा

कप्तान जयदेव उनादकट ने खूबसूरत गेंद पर ‘रन मशीन’ वसीम जाफर का विकेट झटका, जिससे सौराष्ट्र ने नागपुर में खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी फाइनल के शुरुआती दिन विदर्भ पर अपना दबदबा बनाया. गत चैम्पियन विदर्भ के 200 रनों तक सात विकेट झटक लिये. सौराष्ट्र के लिए टॉस गंवाना अच्छा साबित हुआ, जिसने विदर्भ के सबसे महत्वपूर्ण बल्लेबाज जाफर (23) और कप्तान फैज फजल (16) के विकेट सस्ते में झटकने में सफलता हासिल की.

रणजी ट्रॉफी फाइनल: पहले दिन विदर्भ के खिलाफ सौराष्ट्र का बना रहा दबदबासौराष्ट्र के गेंदबाजों विशेषकर उनादकट (20 रन देकर 2 विकेट) और उनके तेज गेंदबाज जोड़ीदार चेतन सकारिया (13 रन देकर 1 विकेट) ने कसी गेंदबाजी कर विपक्षी बल्लेबाजों को परेशान रखा. उनादकट अपनी लाइन एवं लेंथ में बिलकुल सटीक रहे, जबकि सकारिया ने गेंद को स्विंग कराकर और मूवमेंट से बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला.

गत चैम्पियन टीम साझेदारी हासिल करने में जूझती दिखी और अगर अक्षय वाडकर (45) और अक्षय कर्णेवर (नाबाद 31 रन) के बीच सातवें विकेट के लिए 57 रनों की साझीदारी नहीं होती, तो वे और मुश्किल में होते. उसके बल्लेबाज कुछ ज्यादा ही सतर्क दिखे. सिर्फ गणेश सतीश (32) और वाडकर ने ही अपनी छोटी, मगर अहम पारियों के दौरान शॉट लगाए. मोहित काले (126 गेंद में 35 रन) को भी अच्छी शुरुआत मिली, लेकिन वह इसे बड़ी पारी में तब्दील नहीं कर पाए.

आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे कर्णेवार ने अंतिम सत्र में कुछ लुभावने शॉट लगाए. सौराष्ट्र की टीम अब इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहेगी, क्योंकि उसे पिछले सात सत्र में दो बार उप विजेता रहकर संतोष करना पड़ा था. सकारिया को केवल एक ही विकेट मिला, हालांकि वह दुर्भाग्यशाली रहे कि जाफर उनकी गेंद पर एलबीडब्ल्यू की अपील से बच गए और वो भी अंत में. लेकिन निश्चित रूप से वह दिन के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज रहे. उन्होंने 14 ओवर गेंदबाजी की, लेकिन महज 13 रन ही गंवाए.

प्रेरक मांकड़ (27 रन देकर एक विकेट), धर्मेंद्रसिंह जडेजा (72 रन देकर एक विकेट) और कमलेश मकवाना (46 रन देकर एक विकेट) ने एक- एक विकेट चटकाए. रविवार होने के बावजूद स्टैंड खाली पड़े थे, केवल कुछ छात्र ही घरेलू टीम के लिए चीयर करते दिखे.

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