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रामचंद्र छत्रपति की पत्‍नी बोलीं- मन कहता था न्याय जरूर होगा

सिरसा : डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के से पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के परिवार को सुकून मिलेगा। रामचंद्र की पत्नी कुलवंत कौर ने गुरमीत को कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद कहा, मेरे दिल को भरोसा था कि एक दिन इंसाफ जरूर मिलेगा। परिवार वर्षों से पीड़ा भुगत रहा था, कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे थे। रामचंद्र के पुत्र व पुत्री ने कहा कि आज का फैसला सुकून भरा है। यह न्याय की जीत है। सिरसा में अपने आवास पर बातचीत के दौरान पति की हत्‍या की घटना को याद कर 63 वर्षीय कुलवंत कौर भावुक हो गईं। उन्होंने कहा, परिवार न्‍याय की लड़ाई लड़ रहा था तो लोग कहते थे कि कुछ नहीं हो सकता। राम रहीम के पास दौलत ही दौलत है। वह रुपयों की बोरियां गिरा देगा। यह सब सुनकर दिल टूट जाता था, लेकिन मेरा मन तब भी कहता था, भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। न्याय जरूर मिलेगा। सारे जज जगदीप सिंह जैसे ही हों, सबको न्याय दें। शक्तिशाली के खिलाफ भी न्याय मिलना चाहिए। 16 सालों तक की लंबी लड़ाई को पीड़ा भरी बताते हुए कुलवंत कौर ने कहा कि बच्चों के भरण पोषण पर पूरा समय लगा दिया। बच्चों की शादियां की और इस लड़ाई को लड़ा। उनका बेटा अंशुल हीरो है, जिसने परिवार को कम समय दिया और लेकिन इस लड़ाई को लड़ा। कुलवंत कौर ने बताया कि पति की शहादत के बाद बच्चों को संभाला और पाला-पोसा। बच्‍चों की शादियां की, इन शादियों में इतना सुखद अनुभव नहीं हुआ, जितना आज न्याय मिलने पर हुआ है। छत्रपति ने एक ताकतवर से लड़ाई लड़ी। इस लड़ाई में आज उनकी जीत हुई है। पीड़ा का दौर अब गुजर चुका है। उन्होंने कहा, उस समय जब मेरे प‍ति गुरमीत की सच्‍चाई उजागर कर रहे थे तो डेरे की ओर से धमकियां मिल रही थीं। मैं भी कहती क्या कर रहे हो, लेकिन वह कहां मानने वाले थे। लगातार डेरे के खिलाफ लिखते रहे। कहते थे सच ही तो लिख रहा हूं। कुछ कहने पर कहते- मैं तो हर समय अपना कफन सिर पर बांध कर रखता हूं। लेकिन कर्म वहीं करूंगा जो सच्चाई का है। उन्होंने यह भी बताया कि छत्रपति बेहद जिद्दी और जुनूनी स्वभाव के थे और उन्होंने झूठ का पर्दाफाश कर दिया। रामचंद्र छत्रपति के पिता सोहना राम की इच्छा थी कि वह अपने बेटे के कातिलों को सलाखों के पीछे देखें और यह लड़ाई मुकाम तक पहुंचे। 25 अगस्त 2017 को साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रमुख को दोषी करार दे दिया, उसी दिन सोहना राम ने राहत की सांस ली थी और उसी दिन से अन्न त्याग दिया था। कुछ महीनों बाद उनका निधन हो गया था। पंचकूला की अदालत के फैसले के बाद रामचंद्र छत्रप‍ति की बेटी श्रेयसी ने कहा, पापा ने मिशन के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। एक बार भी नहीं सोचा कि उनके साथ क्या होगा। मम्मी से भी कहते थे कि ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे टांग तोड़ देंगे, तुम चिंता मत करो। सच मायने में आज वह अपने मिशन में सफल हुए हैं। पिता की हत्या के बाद मां ने दर्दनाक समय बिताया। आज मां की आंखों में संतुष्टि दिखी है। मेरा परिवार खुश है। अब मैं दोषी, हत्यारे, दुष्कर्मी राम रहीम की आंखों में वही दर्द, भय और उसके माथे पर पसीना देखना चाहती हूं। श्रेयसी ने कहा, आज मां के बाद सबसे ज्यादा खुश अंशुल है। उसे जो समय अपने बच्चों को देना चाहिए था और जिसे अपनी जिंदगी बना देने में लगाना चाहिए था, वह उसने पिता को न्याय दिलवाने में समर्पित कर दिया। भाई अंशुल असली हीरो है। अब डेरा प्रमुख बेनकाब हो चुका है। राजनीति वाले लोग भी जल्दी से उससे जुड़ने की हिम्मत नहीं करेंगे। आम जनता का तो धीरे-धीरे उस पर से विश्वास हट चुका है। ईश्वर उसके अनुयायियों को भी सद्बुद्धि दें।

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