राम जन्मभूमि अयोध्या का एक पहलू ‘छोटी मक्का’ भी है
एजेंसी/ अयोध्या
अयोध्या की पहचान राम जन्मभूमि के तौर पर है। जाहिर है इसको लेकर चल रहे लंबे विवाद के बाद यह पहचान और प्रभावी ही हुई है। इस शहर की एक और खासियत भी है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। शहर की बहुआयामी संस्कृति का एक प्रतीक है अयोध्या को ‘छोटी मक्का’ के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम शहरवासी आपस में प्रयोग करते हैं।
रमजान के पाक महीने में शहर की बहुसांस्कृतिक छटा और भी निखर जाती है। तिवारी मंदिर के प्रमुख महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने बताया, ‘मंदिरों के इस शहर में 20 से अधिक महत्वपूर्ण मुस्लिम धार्मिक स्थल हैं। इन स्थलों का महत्व सिर्फ मुसलमान समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि हिंदुओं को भी ये जगह आकर्षित करते हैं।’
शहर के एक मुस्लिम धार्मिक नेता मोहम्मद उमर ने बताया, ‘अयोध्या में 100 से अधिक ऐसे मस्जिद हैं जहां पूरी तरह से शाकाहारी भोजन के नियम को माना जाता है। यह हिंदुओं के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाता है।’ मोहम्मद उमर ने कहा, ‘मजार और मस्जिदों से भरा यह शहर यूं ही छोटी मक्का नहीं कहा जाता है। अयोध्या वास्तव में मक्का के बहुत करीब सा लगता है।’
मौलवी मोहम्मद अकरम ने कहा, ‘धर्मनिरपेक्ष मुस्लिम भगवान राम को खुदा के दूत (पैगम्बर) के तौर पर देखते हैं। धार्मिक ग्रंथ भी उन्हें एक अवतार ही बताते हैं। कुरआन में हमें सभी पैगम्बरों के सम्मान की नसीहत दी गई है।’
कुष्ण कुमार मिश्रा भी मुस्लिम धर्मगुरुओं की इस बात से सहमत हैं। मिश्रा शहर में बर्फी महाराज के नाम से जाने जाते हैं और वह श्री शौर्य अवध बालक समिति के संयोजक हैं। समिति 110 साल पुरानी है और शहर के ऐतिहासिक महत्व का संरक्षण करने का काम करती है। उन्होंने कहा, ‘अयोध्या शायद भारत में अकेला देश है, जहां इस्लाम के पैगम्बर हजरत शीज की मजार है। यह मजार मुस्लिमों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।’