कल्याण सिंह एक दौर में अयोध्या आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। राम मंदिर के लिए बीजेपी नेताओं में एकलौते शख्स थे जिन्होंने सत्ता भी कुर्बान की और एक दिन की सजा भी काटी।
नई दिल्ली: अयोध्या आंदोलन ने बीजेपी के कई नेताओं को देश की राजनीति में एक पहचान दी, लेकिन राम मंदिर के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी पार्टी नेता कल्याण सिंह ने दी, बीजेपी के इकलौते नेता थे, जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद अपनी सत्ता को बलि चढ़ा दिया था। राम मंदिर के लिए सत्ता ही नहीं गंवाई, बल्कि इस मामले में सजा पाने वाले वे एकमात्र शख्स हैं। बता दें कि कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल हैं। एक दौर में वे राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता की थी।
30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था। ऐसे में बीजेपी ने उनका मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया। कल्याण सिंह बीजेपी में अटल बिहारी बाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे जिनके भाषणों को सुनने के लिए लोग बेताब रहते थे।कल्याण सिंह उग्र तेवर में बोलते थे, उनकी यही अदा लोगों को पसंद आती। कल्याण सिंह ने एक साल में बीजेपी को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली, कल्याण सिंह यूपी में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने। सीबीआई में दायर आरोप पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने के लिए शपथ ली।
कल्याण सिंह सरकार के एक साल भी नहीं गुजरे थे कि 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया। जबकि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। इसके बावजूद 6 दिसंबर 1992 को वही प्रशासन जो मुलायम के दौर में कारसेवकों के साथ सख्ती बरता था, मूकदर्शक बन तमाशा देख रहा था। सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस कर दी गई। इसके लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया. लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर दिया।
कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली। बाबरी मस्जिद ध्वंस की जांच के लिए बने लिब्राहन आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन योजनाबद्ध, सत्ता का दुरुपयोग, समर्थन के लिए युवाओं को आकर्षित करने, और आरएसएस का राज्य सरकार में सीधे दखल के लिए मुख्यमंत्री कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की. कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया है।
बता दें कि 26 साल पहले अयोध्या में जो भी हुआ वो खुल्लम-खुल्ला हुआ। हजारों की तादाद में मौजूद कारसेवकों के हाथों हुआ। घटना के दौरान मंच पर मौजूद मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा और लालकृष्ण आडवाणी के सामने हुआ। इनसे मस्जिद को बचाने का रोकने का जिम्मा कल्याण सिंह पर था। बीजेपी की आज जो भी सियासत हैं वह राम मंदिर आंदोलन की देन है। इसके लिए लालकृष्ण आडवाणी के साथ-साथ कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही है। इसी अयोध्या की देन है कि आज नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। लालकृष्ण आडवाणी ने जब सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली थी तो नरेंद्र मोदी उनके सारथी थे। इसके बाद 2002 में गोधरा में ट्रेन की जो बोगी जलाई गई उसमें मरने वाले भी वो कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। इसके बाद गुजरात में दंगा हुआ और नरेंद्र मोदी का उभार हुआ।