उत्तर प्रदेशराज्य

झींझक में रामनाथ कोविंद का हुआ भव्य स्वागत, कहा- टीचर्स सबसे ज्यादा वेतन पाते हैं, हमें तो 5 लाख मिलता है, लेकिन 3 लाख टैक्स लग जाता है

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद पदभार संभालने के बाद पहली बार महाराजा एक्सप्रेस से कानपुर पहुंचे हैं। वह कानपुर जिले में अपने पैतृक गांव परौंख जा रहे हैं। कानपुर पहुंचने से पहले झींझक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लोगों से कहा कि सबसे ज्यादा वेतन देश के राष्ट्रपति को मिलता है। हमें भी 5 लाख मिलता है, जिसमें पौने 3 लाख टैक्स में चला जाता है। तो बताइये बचा कितना? और जितना बचा उससे कहीं ज्यादा तो हमारे अधिकारी और अन्य दूसरे लोगों को मिलता है। यहां जो टीचर्स बैठे हुए हैं उन्हें तो सबसे ज्यादा मिलता है।

कोविंद ने कहा, ”मेरी आपसे दूरी नहीं है। प्रोटोकॉल के तहत कुछ दूरी है। आप अपनी बात, शिकायत हम तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में आजादी के बाद बहुत विकास हुआ है। ऐसे में हम सबका भी दायित्व है कि विकास में सहयोग करें।” उन्होंने कहा कि कई बार देखा गया है कि कुछ लोग धरना-प्रदर्शन करने के दौरान ट्रेनों को रोकते हैं, कहीं-कहीं ट्रेन में आग भी लगा देते हैं। जो कि एकदम गलत है। क्षणिक आवेश में उठाया गया ऐसा कदम कहीं ना कहीं हमारे ऊपर ही प्रभाव डालता है।

झींझक रेलवे स्टेशन पर ही लोगों को संबोधित किया

कानपुर देहात जिले के झीझक रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार शाम राष्ट्रपति की स्पेशल ट्रेन पहुंची। यहां झीझक में लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मैं आप सबका आशीर्वाद लेने आया हूं। मुझे इस रेलवे स्टेशन का हर लम्हा याद है।

राष्ट्रपति ने अपने अंदाज में कहा कि लोग कहते हैं कि जब मैं सांसद था तो यहां (झीझक रेलवे स्टेशन ) कई ट्रेनें रुकती थीं लेकिन बाद में बंद हो गईं। संभवत कोरोना के चलते ऐसा हुआ होगा। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में सभी ट्रेनों का ठहराव फिर से हो जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहीं ये प्रमुख बातें

इसलिए ज्यादा देहात नहीं आता

  • आवेश में किसी मांग को लेकर ट्रेन में आग लगा देते हैं, हमें समझना चाहिए ये प्रॉपर्टी आपकी ही है।
  • काफी समय से अपने घर आने की प्रतीक्षा में था। आज संयोग बना है। आशीर्वाद देने नहीं लेने आया हूं।
  • रूरा रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर बन रहा रेलवे ब्रिज बनता देख प्रसन्नता हुई।
  • फ्रेट कॉरिडोर को बनता देख काफी अच्छा लगा। इससे व्यापारियों को लाभ मिलेगा।
  • कोरोना की तीसरी लहर से सभी को बचना है। ये मेरी आपसे अपील भी है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करें।
  • वैक्सीन जरूर लगवाएं, ये जीवन का कवच है। जान है तो जहान है।
  • राष्ट्रपति ने अपने पूरे संबोधन में लोगों से बड़े ही आत्मीयता से बात की। बताया कि कानपुर तो कई बार आया लेकिन कानपुर देहात नहीं आ पाया। क्योंकि प्रति घंटे का खर्च 15 से 20 लाख रुपए का खर्च आता है। चाहता हूं कि मेरे आने पर खर्च के बजाय क्षेत्र के विकास में वो पैसा लगे। मेरे ऊपर खर्च होने वाला टैक्सपेयर्स का है, यानि की आपका है।

समझूंगा पूरा देहात घूम लिया
राष्ट्रपति ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार न आने के लिए क्षमा मांगी। उन्होंने कहा कि इस बार ट्रेन से आते हुए रसूलाबाद और अकबरपुर रनियां देख लिया। 27 को पुखरायां और परौंख आऊंगा तो 2 विधानसभा भोगनीपुर और सिकंदरा भी कवर कर लूंगा। चारों विधानसभाएं कवर हो जाएंगी।

मानवीय मूल्यों और मर्यादा में गिरावट
राष्ट्रपति ने लोगों को जीवन की सीख भी दी। पीढ़ी ज्यादा सुखी थी। आज संसाधन हैं, लेकिन फिर भी नई पीढ़ी परेशान है। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाती है। मर्यादाओं को भूलना नहीं चाहिए। एक घर में लोग भाई-भाई से, पिता-बेटे और बहुएं झगड़ती हैं। हमें पारिवारिक भाव को भूलना नहीं चाहिए। एक साथ रहना दोबारा सीखना होगा।

 

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