लंका पर चढ़ाई से पूर्व राम ने यहां की थी शिवलिंग की स्थापना
रामेश्वरम्। सेतुबंध रामेश्वरम् भारत का अति प्राचीन आध्यात्मिक स्थल है। यह रामायण काल में यह जगह प्रसिद्ध हुई जो आज भी हिन्दुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। रामेश्वरम् वह स्थान है जहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पूर्व पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की थी।
इसे सेतुबंध रामेश्वरम् कहा जाता है। यहां समुद्र पर भगवान राम ने वानरों की सेना के साथ मिलकर समुद्र को पार करने के लिए एक सेतू बनाया जिसे आज रामसेतु के नाम से जाना जाता है।
रामेश्वरं एक ओर जहां आस्था स्थली के रूप में विख्यात है वहीं प्रकृति की अनुपम छठा भी यहां बखूबी देखने को मिलती है। रामेश्वरम तमिलनाडु का एक आकर्षक स्थान है जो कि शहर चेन्नई से करीब 592 किलोमीटर की दूरी पर है।
यहां कोदंडाराम स्वामी मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां भगवान राम और विभिषण की पहली भेंट हुई थी। यह धनुषकोटि से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर है जो अपने आप में एक रमणीक स्थान है।
इसी तरह से यहां के अन्य दर्शनीय स्थलों में कोरल रीफ कुदरत के करिश्में से कम नहीं है। यह बेहद खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जगह है। यहां दूर-दूर तक फैली सुनहरी रेत और नारियल के ऊंचे ऊंचे वृक्ष इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते है।
कोरल रीफ में अधिकतर पर्यटक मछली पकडऩे के चाह में भी आते हैं। इसी तरह से मनोहारी स्थल धनुषकोटि समुद्रतट पर स्थित है। यहां भगवान राम, लक्ष्मण, विभीषण और हनुमान की मूर्तियां विराजमान हैं।
धनुषकोटी रामेश्वरम् से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गंधाधन परवतम रामेश्वरम् का ऊंचा स्थल तो है ही साथ ही यह रामेश्वरम् मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। यहां से आप पूरे समुद्र द्वीप का अद्भुद् नज़ारा देख सकते हैं। यहां के सीता कुण्ड के बारे में कहा जाता है कि इस कुण्ड में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।