वन रैंक वन पेंशन : अरुण जेटली के घर के बाहर सैनिकों ने धरना खत्म किया, अब 20 जनवरी पर उम्मीदें
नई दिल्ली: वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर जंतर मंतर पर बैठे पूर्व सैनिकों ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का घर के बाहर धरना खत्म कर दिया। पीएमओ की पहल पर देर रात केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के साथ पूर्व सैनिकों की बैठक हुई। यह बैठक रात 12.30 बजे से 1.15 बजे तक हुई।
इस बैठक में सरकार की ओर से भरोसा दिया गया कि सरकार जल्द ही इस मसले को सुलझा लेगी। इसके बाद ही पूर्व सैनिक वित्त मंत्री के अधिकारिक निवास कृष्णा मेनन मार्ग से हटने को तैयार हुए। पूर्व सैनिक रविवार सुबह नौ बजे से ही जेटली के घर का घेराव कर लिया था। बाद में पता लगा कि वित्त मंत्री लंदन में है।
ये सैनिक जेटली को ही सही तरीके से ओआरओपी लागू नहीं होने के लिये जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। ये पूर्व सैनिक फिर से जंतर मंतर पर लौट गए है। वैसे पिछले 217 दिन से दिल्ली के जंतर पर भी ओआरओपी को लेकर पूर्व सैनिकों का धरना जारी है। इस महीने के शुरुआत में पूर्व सैनिक वित्त मंत्री से मिले थे और उन्हें ओआरओपी में हुई विसंगतियों के बारे में बताया था, तब सरकार ने भरोसा दिया था कि इस हफ्ते वो कुछ जबाब देगी।
इंडियन एक्स सर्विस मेन मूवमेंट के चेयरमेन मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि हमनें तीन जनवरी को जेटली से मुलाकात की औऱ उन्होंने कहा कि एक हफ्ते के भीतर वे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से बात करेंगे। फिर 9 जनवरी हमने चिट्ठी लिखी और उनके दफ्तर में बात की लेकिन कोई जवाब नहीं आया लिहाजा हम लोगों के पास घेराव करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा।
जनरल सतबीर ने कहा कि जयंत सिन्हा ने कहा है कि वे बुधवार को हमसे मिलेंगे और मामले को सुलझायेंगे। इतना ही आज वह केन्द्रीय वित्त मंत्री से भी बात करेंगे और पूर्व सैनिकों को बतायेंगे। पूर्व सैनिकों ने साफ किया कि गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में कोई खलल डालने की उनकी योजना नहीं है। हालांकि इन्होंने मांग की है कि सरकार उन पुलिस वालों पर कार्रवाई करे जिन्होंने धरना स्थल पर बूढ़े सैनिकों के लिये कंबल और खाने लाने से रोका।
इससे पहले 14 अगस्त को जंतर मंतर से इन पूर्व सैनिकों को पुलिस ने बल पूर्वक हटाने की कोशिश की थी लेकिन उसकी जबरदस्त आलोचना हुई जिसके बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। वैसे सरकार ने ओआरओपी को लेकर नौ नवंबर को नोटिफिकेशन निकाला था लेकिन पूर्व सैनिकों ने एक गुट ने इसे मानने से इंकार कर दिया है। इनकी मांग है कि सरकार वही ओआरओपी लागू करें जिसका वायदा उन्होनें संसद में किया है।