शनि और साई पर दिए बयानों पर कायम हैं। अब उन्होंने साई भक्तों को चैलेंज दिया है। उन्होंने कहा कि साई को जिन लोगों ने भगवान बताया और धारावाहिकों में चमत्कारिक होने का प्रचार किया। वह शिरडी में भी पानी के लिए चमत्कार क्यों नहीं करा देते। अब साईं का चमत्कार कहां गया।उन्होंने भूमाता ब्रिगेड की लीडर तृप्ति देसाई के बयानों पर कहा कि उन्हें हिंदू धर्म का साथ देना चाहिए। कहा कि यह हिंदू धर्म में रहकर ही कोई विरोध कर सकता है, यदि कोई मुस्लिम धर्म के खिलाफ इस तरह से बयान देता तो उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ता। उन्होंने केदारनाथ की आपदा के लिए लोगों के दुर्व्यसनों को जिम्मेदार बताया।
मंगलवार को हरिद्वार के कनखल स्थित मठ में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराष्ट्र से आई टिप्पणियों पर तल्ख दिखे।
मंगलवार को हरिद्वार के कनखल स्थित मठ में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराष्ट्र से आई टिप्पणियों पर तल्ख दिखे।
इसके लिए उन्होंने हिंगला संस्था बनाई है, जिसमें महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि धर्म बचाने के लिए यदि उन्होंने अपराध किया है तो वह इसके लिए सजा पाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वह महिलाओं का सम्मान करते हैं, जिसमें जगदंबा माता, अरूंधति, अनुसूया आदि को मानते हैं। उन्होंने कहा कि जहां शनि और साई की दृष्टि पड़ती है वहां पर अनिष्ट होता है।
गंगा पूजा से मैली से नहीं होती
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा पूजा, अस्थि विर्सजन, राख, फूल आदि पूजा की सामग्री डालने से मैली नहीं होती, बल्कि गंगा गंदे नाले, सीवर, बाध बनाने से प्रदूषित हो रही है। कहा कि गंगा में जो धार्मिक पूजन करने से गंगा को मैली होना बताते है उनका विरोध होना चाहिए। साथ ही कहा कि हम लोगों को अपने शास्त्रों की रक्षा करनी चाहिए।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा पूजा, अस्थि विर्सजन, राख, फूल आदि पूजा की सामग्री डालने से मैली नहीं होती, बल्कि गंगा गंदे नाले, सीवर, बाध बनाने से प्रदूषित हो रही है। कहा कि गंगा में जो धार्मिक पूजन करने से गंगा को मैली होना बताते है उनका विरोध होना चाहिए। साथ ही कहा कि हम लोगों को अपने शास्त्रों की रक्षा करनी चाहिए।
अस्थि विसर्जन में हस्तक्षेप न करें कोई
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि अस्थि विसर्जन की जहां पर परंपरा है वहीं जारी रहनी चाहिए। किसी भी साधु संन्यासी को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पुरोहितों के चक्कर में किसी को नहीं पड़ना चाहिए। अस्थि विर्सजन संबंधी मामलों में पड़ने की किसी को जरूरत नहीं।
जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि पीठों के आचार्य ही शंकराचार्य है, इसके अलावा किसी अन्य को शंकराचार्य न कहा जाए। देश में चार मठ है उनके ही शंकराचार्य होते हैं। अपने वारिस के प्रश्न पर कहा कि परंपरा लुप्त नहीं होगी, उनके सैकड़ों वारिस हैं। वह अपने जीते जी इस विवाद को नहीं होने देंगे। उससे पहले ही अपना वारिस घोषित कर देंगे।
विदेशों में न जाए प्रतिभाएं
शंकराचार्य ने यूक्रेन में दो छात्रों की मौत की घटना पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को पलायन से बचना चाहिए। युवाओं की अच्छी शिक्षा-दीक्षा के लिए देश में काफी सुविधाएं है। प्रतिभाओं को देश में अच्छे अवसर पैदा करने चाहिए।
शंकराचार्य ने यूक्रेन में दो छात्रों की मौत की घटना पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को पलायन से बचना चाहिए। युवाओं की अच्छी शिक्षा-दीक्षा के लिए देश में काफी सुविधाएं है। प्रतिभाओं को देश में अच्छे अवसर पैदा करने चाहिए।