पूर्वोत्तनासन को अंग्रेजी लोग टेबल टॉप आसन कहने लगे हैं। इसी तरह के आसन सेतु बंध, चक्रासन और मार्जार आसन भी होते हैं।
आसन विधि : यह आसन दो तरह से किया जाता है, प्रारंभ में घुटनों को न मोड़ते हुए और पगथलियों को भूमि पर न जमाते हुए भी यह आसन किया जाता है। दंडासन में बैठकर दोनों हथेलियां भूमि पर टिकाएं फिर घुटनों को मोड़कर पगथलियों को भूमि पर जमाएं। उसके बाद पूरे धड़ को ऊपर उठा दें। कुछ सेकंड रुकने के बाद पुन: दंडासन में बैठ जाएं। इस आसन के कई लाभ हैं। स्वसन प्रक्रिया में सुधार करता है। हृदय के लिए भी यह आसन लाभदायक है। यह आंतों और उदर के अंगों में खिंचाव पैदा करता है इससे वे मजबूत बनती हैं। गर्दन की कसरत होने के कारर यह कारण थायराइड ग्रंथि को भी उत्तेजित करता है। इससे कलाइयां, भुजाएं, कंधे, पीठ और रीढ़ को मजबूती मिलती है। पैरों व कूल्हों का व्यायाम भी हो जाता है।