शुक्रवार को इन शुभ मुहूर्त में करें कार्य, बरसेगी लक्ष्मी की कृपा
29 अप्रेल 2016 को शुक्रवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2073, संवत्सर नाम: सौम्य, अयन: उत्तर, शाके: 1938, हिजरी: 1437, मु.मास: रज्जब-21, ऋ तु: ग्रीष्म, मास: वैशाख, पक्ष: कृष्ण है।
शुभ तिथि
सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि रात्रि 9.10 तक, तदुपरान्त अष्टमी संज्ञक तिथि रहेगी। सप्तमी तिथि में वस्त्र, अलंकार, यात्रा, प्रवेश, विवाहादि मांगलिक कार्य, नाचना-गाना-संगीत नृत्य कार्य तथा युद्ध सम्बन्धी कार्य सिद्ध होते हैं।
इसी प्रकार अष्टमी तिथि में नाचना-गाना, रत्नालंकार, शस्त्रधारण, वास्तुकर्म, चित्रकारी, वधूप्रवेश, प्रतिष्ठा व विवाहादि कार्य सिद्ध होते हैं। सप्तमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: धनवान, प्रतिभाशील, कलाकार, सुन्दर, संतान से युक्त तथा समाज में मान-सम्मान पाने वाला होता है।
नक्षत्र
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रात्रि 9.48 तक, तदन्तर श्रवण नक्षत्र रहेगा। उत्तराषाढ़ा में विवाहादि मांगलिक कार्यों सहित, देवस्थापन, विभूषित करना, गृहारम्भ, यात्रा, प्रवेश, बीजारोपण, व्यापार-व्यवसायारम्भ तथा अलंकारादिक कार्य शुभ होते हैं।
श्रवण नक्षत्र में वाहन, सवारी करना, देवस्थापन, कारीगरी, जनेऊ, विद्यारम्भ, दुकान खोलना तथा शांति कार्यादि शुभ होते हैं। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मा जातक होशियार, चतुर, बहादुर, परोपकारी, धार्मिक, सर्वप्रिय, विद्वान तथा गाने-बजाने का शौकीन होता है। इनका भाग्योदय लगभग 31वें वर्ष में होता है।
योग
साध्य नामक योग सायं 5.46 तक, इसके बाद शुभ नामक योग रहेगा। दोनों ही नैसर्गिक शुभ योग हैं।
विशिष्ट योग
दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली योग रात्रि 9.48 तक, तदन्तर सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग है, जो शुभ कार्यों की सम्पन्नता के लिए मार्गप्रशस्त करते हैं।
करण
विष्टि नाम करण प्रात: 9.12 तक, तदन्तर बवादि करण रहेंगे। भद्रा संज्ञक विष्टि करण में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित कहे गए हैं।
चंद्रमा
सम्पूर्ण दिवारात्रि मकर राशि में रहेगा।
अगस्त्य अस्त
अपराह्न 3.04 पर।
व्रतोत्सव
रात्रि 12.55 से महापात है। इस पात में शुभ कार्य शुभ नहीं कहे गए हैं। शुक्रवार को बूढ़ा बास्योड़ा (ठण्डा भोजन करना चाहिए) शीतला सप्तमी, तथा गुरु अर्जुनदेव जयंती (प्राचीन मत से) है।
शुभ मुहूर्त
उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार विवाह उ.षा. व श्रवण में तथा गृहारम्भ, गृहप्रवेश, देवप्रतिष्ठा, विपणि-व्यापारारम्भ, द्विरागमन, हलप्रवहण-बीजोप्ति, अन्नप्राशन व नामकरण आदि के उ.षा. नक्षत्र में भद्रोत्तर शुभ मुहूर्त हैं।
वारकृत्य कार्य
शुक्रवार को सामान्यत: नृत्य-वाद्य-गीत-कलारम्भ, मनोरंजन व मनोविनोद के कार्य, अभिनय, सांसर्गिक कार्य, नवीन वस्त्राभूषण धारण, धन सम्बन्धी कार्य और कृषि सम्बन्धी कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
दिशाशूल
शुक्रवार को सामान्यत: पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ जौ के दाने चबाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। वैसे चन्द्र स्थिति के अनुसार दक्षिण दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।