एजेंसी/ नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को दिए गए भारत रत्न के संबंध में तमाम कयासों पर लगाम लगाते हुए अपना फैसला सुना दिया है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बैंच ने सोमवार को तेंदुलकर को भारत रत्न के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं उसके खिलाफ देश में कोई कानून नहीं है।
याचिका में तेंदुलकर को दिया भारत रत्न पुरस्कार वापस लेने की मांग की गई थी। याचिका में पुरस्कार वापस लेने के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के कथित गलत इस्तेमाल को आधार बनाया गया था। पीठ ने कहा कि ऐसे कोई वैधानिक प्रावधान, नियम और कानून नहीं है जो तेंदुलकर के खिलाफ लगाए आरोपों से निपटे। यचिकाकर्ता वीके नास्वा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचे थे।
याचिका में आरोप
पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद भी तेंदुलकर ने व्यावसायिक गतिविधियों में हिस्सा लेना जारी रखा। कुछ लेखक अपनी किताबों में तेंदुलकर का इस्तेमाल भारत रत्न के रूप में करते हैं। यहां तक कि तेंदुलकर पर लिखी किताब का शीर्षक भी इसी तरीके से रखा गया है।
कोर्ट का निर्णय
याचिका में तेंदुलकर के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं उसके खिलाफ कोई कानून देश में नहीं है। ये मामला तब होता जब खुद तेंदुलकर किताब लिखकर उसमें भारत रत्न जोड़ देते। अगर तीसरा पक्ष ये किताब लिख रहा है तो इसके लिए तेंदुलकर कैसे जवाबदेह हैं।
एक साल के भीतर आया फैसला
नास्वा ने अपनी याचिका में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 10 अगस्त 2015 के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने यचिका पर बिना कोई आदेश दिए खारिज कर दिया गया था।