सूना है सोनपुर का ऐतिहासिक मेला, नोटबंदी ने ला दी मंदी
दरअसल साल में एक बार लगने वाले इस मेले में पूरा कारोबार नकद में होता है। ऐसे में नकद की बाजार में कमी इस मेले के कारोबार को ठप कर दिया है। गाय खरीदने आए रामवचन राय कहते हैं कि यहां सारा लेन-देन नकद में होता है बाबू, यहां पेटीएम नहीं चलता है।
स्थानीय कारोबारी अमूल्य सुनसान मेला क्षेत्र की ओर देखते हुए कहते हैं कि पूरे इलाके की अर्थव्यवस्था इससे जुड़ी हुई है। विश्व प्रसिद्ध इस मेले का औपचारिक उद्घाटन 12 नवंबर को ही हो चुका है, लेकिन पिछले छह दिन से खिलौने, खेल-तमाशा और पशुओं का बाजार सजा है, परंतु इन सामानों के खरीददार नहीं आ रहे हैं।
मेले में आई इस वीरानी का असर आने वाले दिनों में जरूर दिखाई देगा। नोटबंदी का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है इस बात को इस मेले में आकर समझा जा सकता है। जो लोग मेले में आ रहे हैं, वो भी मेला घूमकर वापस जा रहे हैं, खरीददारी नहीं कर रहे।