स्टेट बैंक को तीसरी तिमाही में 1,887 करोड़ रुपये का घाटा
![स्टेट बैंक को तीसरी तिमाही में 1,887 करोड़ रुपये का घाटा](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2018/02/203419-sbi.jpg)
सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने दिसंबर में समाप्त तिमाही के दौरान निराशाजनक परिणाम दिखाए हैं. तीसरी तिमाही में बैंक को 1,886.57 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है. बैंक की दबाव वाली परिसंपत्तियों के बारे में पूरी जानकारी सामने नहीं आने और ट्रेजरी कारोबार में नुकसान के चलते बैंक को यह नुकसान हुआ. बैंक ने हालांकि, उम्मीद जताई है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 उसके लिए बेहतर रहेगा लेकिन चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही को लेकर भी बैंक ने ज्यादा उम्मीद नहीं दिखाई है. फंसे कर्ज के समाधान में कमजोरी और संपत्तियों के दाम घटने की समस्या भी बैंक के समक्ष है. स्टेट बैंक के एकल परिणाम की यदि बात की जाए तो करंट ईयर में बैंक का घाटा और भी ज्यादा 2,416 करोड़ रुपये रहा है.
बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘तीसरी तिमाही के परिणाम निश्चित रूप से निराशाजनक रहे हैं, लेकिन आने वाले समय की यदि बात की जाये तो इसको लेकर काफी उम्मीद हैं. पहली अप्रैल से हम सकारात्मक शुरुआत करेंगे. मैं चौथी तिमाही को लेकर भी न तो बहुत ज्यादा उम्मीद में हूं और न ही निराशा में हूं.’’
आलोच्य तिमाही के दौरान बैंक का 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में परिवर्तित हो गया. ऐसा मुख्यतौर एनपीए के बारे में पूरी जानकारी नहीं देने अथवा 23,330 करोड़ रुपये की पिछले वित्त वर्ष की राशि को लेकर भिन्नता होना है. यही वजह है कि बैंक का सकल एनपीए यानी कर्ज में फंसी परिसंपत्तियां पिछले साल के 7.23 प्रतिशत से बढ़कर 10.35 प्रतिशत हो गई. यह नोट करने वाली बात है कि सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक में पहली बार इस तरह की भिन्नता सामने आई है. निजी क्षेत्र के बैंकों में यह एक सामान्य बात है.
उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज के एवज में कुल प्रावधान एक साल पहले जहां 7,244 करोड़ रुपये था वहीं इस साल यह बढ़कर 17,759 करोड़ रुपये हो गया. इसमें 6,000 करोड़ रुपये का प्रावधान असहमति वाले हिस्से के लिये हुआ है. इसे मिलाकर प्रावधान का कवरेज औसत बढ़कर 65.92 प्रतिशत हो गई.