नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को देश में एक राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसकी स्थापना को देश में कैंसर अनुसंधान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है तथा इससे देश के उत्तरी क्षेत्र में कैंसर मरीजों के कारण अस्पतालों पर पड़ने वाला बोझ भी कम होगा। राष्ट्रीय राजधानी के पास हरियाणा में झज्जर जिले के बाढ़सा गांव में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) परिसर में इस कैंसर संस्थान को 2०35 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया जाएगा तथा इसके 45 महीनों में पूरा कर लिए जाने का अनुमान है। 71० बिस्तर वाले इस कैंसर अनुसंधान संस्थान में शल्य चिकित्सा रेडिएशन आंकोलॉजी मेडिकल आंकोलॉजी इत्यादि जैसी अन्य सुविधाओं के साथ-साथ ऊतक (टिशू) रिपोजिटरी भी होगा जो भारत में पहली बार बनाई जा रही है। अधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार ‘‘देश में कैंसर संस्थान स्थापित करने का निर्णय कैंसर अनुसंधान की दिशा में मील का पत्थर साबित होने वाला है तथा देश के उत्तरी हिस्से में कैंसर के इलाज पर होने वाला खर्च कम करने वाला साबित होगा।’’ विज्ञप्ति में आगे कहा गया है ‘‘देश में कैंसर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। देश में हर वर्ष कैंसर के 11 लाख नए मामले सामने आते हैं जिनमें से हर वर्ष 5.5 लाख मरीजों की मृत्यु हो जाती है।’’विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों की अपेक्षा देश में कैंसर के उपचार की काफी कम सुविधाएं हैं जिसके अनुसार प्रत्येक 1० लाख आबादी पर एक रेडियोथेरेपी मशीन होना चाहिए। जबकि देश में इस समय इतनी ही आबादी पर सिर्फ ०.41 रेडियोथेरेपी मशीनें उपलब्ध हैं। प्रस्तावित कैंसर संस्थान में रोग प्रबधंन ग्रुप (डीएमजी) सहित कई प्रभाग होंगे। इसके अलावा इस कैंसर संस्थान में विभिन्न प्रकार के कैंसर पर अनुसंधान भी किया जाएगा जैसे तंबाकू से पैदा होने वाले कैंसर गर्भाशय की ग्रीवा पर होने वाले कैंसर गाल ब्लैडर कैंसर और जिगर में होने वाले कैंसर पर अनुसंधान करना और उसमें तालमेल लाना आदि।