दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया और उन्हें आजीवन उम्र कैद की सजा सुनाई। ट्रायल कोर्ट ने 2013 के अपने फैसले में सज्जन कुमार को दोष मुक्त होने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं और सिख विरोधी दंगे की तुलना 1947 में विभाजन के समय हुए नरसंहार से की है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘विभाजन के समय 1947 के गर्मी के दौरान बहुत सारे लोगों का कत्लेआम किया गया और इसके 37 साल बाद दिल्ली भी इसी तरह की त्रासदी की गवाह बनी। आरोपी अपने राजनीतिक संरक्षण का लाभ लिया और निचली अदालत से बचता रहा।’
हाई कोर्ट की यह टिप्पणी सिख दंगे की भयावहता और दुखद मंजर को बताने के लिए काफी है। बता दें कि जस्टिस एस मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने मामले में अपनी सुनवाई 29 अक्टूबर को पूरी की। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई, दंगा पीड़ितों ने अपील की थी। जस्टिस एस मुरलीधर एवं आईएस मेहता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सज्जन कुमार को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया। कोर्ट ने सज्जन कुमार को हत्या की साजिश रचने के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कि सत्य की जीत होगी और न्याय होगा।
इसके साथ ही कोर्ट ने सज्जन कुमार को शहर से बाहर न जाने और 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है।उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी भागमल और तीन अन्य की दोषिसद्धि बरकरार रखी है। इससे पहले 2013 में निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था, जबकि 5 अन्य को दोषी करार दिया था। यह मामला 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद दिल्ली कैंटोनमेंट के राजनगर इलाके में 1 नवंबर, 1984 को एक ही सिख परिवार के 5 सदस्यों की हत्या से जुड़ा है।