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हामिद अंसारी के बयान से क्या सहमत हैं देश के मुसलमान

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले एक साक्षात्कार में कहा कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. देश में स्वीकार्यता का माहौल खतरे में है. उपराष्ट्रपति की राय से मुस्लिम संगठन पूरी तरह सहमत हैं, उन्हें भी लगता है कि नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद देश का माहौल बदल गया है. आजादी के 70 साल बाद देश का मुसलमान ऐसे असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर है.

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हामिद अंसारी के बयान से क्या सहमत हैं देश के मुसलमान सड़क से सत्ता तक बिगड़ा है माहौल

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद ने कहा कि हामिद अंसारी ने डिप्लोमेट से लेकर उपराष्ट्रपति तक का सफर तय किया है. सरकार का वो हिस्सा रहे हैं. उनकी नजर हर चीज पर गहरी है, उन्होंने देश का माहौल जैसा महसूस किया है, वैसा बयां किया है. इन दिनों सड़क से लेकर सत्ता तक में मुस्लिमों के खिलाफ माहौल है.

सरकार और मुसलमानों के बीच विश्वास की कमी आई है, इसीलिए मुसलमान के अंदर असुरक्षा की भावना पैदा हुई है. आज हालात ये हैं कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. जब राज्यपाल ये कहेगा कि देश में हिंदू- मुस्लिम समस्या तब खत्म होगी जब हिंदू-मुस्लिम के बीच सिविल वार हो, तो क्या महसूस किया जा सकता है. पिछले कुछ सालों में जिस तरह का रवैया मुसलमानों के खिलाफ देश में बना है, उसमें मुस्लिम असुरक्षित ही महसूस करेगा.

मुस्लिम और इस्लाम से मोदी ने किया खुद को दूर

जमाते इस्लाम-ए-हिंद के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर कहते हैं कि हामिद अंसारी की बात पूरी तरह से जायज है.  संवैधानिक पद पर बैठा शख्य अगर कोई बात कह रहा है, तो निश्चितरूप से बात बहुत गंभीर है. मौजूदा दौर में मुसलमानों की हालात पर हामिद अंसारी ने जो कही है, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है. इसके लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं. मोदी देश के प्रधानमंत्री है, लेकिन देश में सभी के साथ एक जैसा सलूक नहीं करते हैं. खासकर मुसलमानों के साथ उनका जो रवैया है, उससे देखकर लगता है कि वो मुस्लिम और इस्लाम से जुड़ी चीजों को हमेशा दरकिनार करते रहे हैं. जबकि वहीं वो हिंदू धर्म के रक्षाबंधन से लेकर दशहरे तक में सीमित होते हैं, लेकिन मुसलमानों से जुड़ी टोपी लगाने से परहेज करते हैं, तो रोजा इफ्तार में भी नहीं शामिल होते. मोदी ने हमेंशा मुसलमानो से दूरी बनाकर रखी है. ऐसे में देश का माहौल खराब नहीं होगा तो फिर कैसा होगा. 

एहसास-ए-आजादी का दम घुट रहा 

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे रुशैद मानते हैं कि उपराष्ट्रपति के बयान को तो हल्के में नहीं लिया जा सकता. वो देश के अहम पदों पर रहे हैं, देश की तहजीब समझते हैं, ऐसे में उन्होंने जो महसूस किया है उसी के मद्देनजर बयान दिया है. जहां तक मेरी राय की बात तो पिछले कुछ सालों में देश के मुसलमानों की एहसास-ए-आजादी का दम घुटा है. वरना अखलाक और जुनैद की घटना न होती. मौजूदा माहौल को मै इस प्रकार देखता हूं कि अगर यादव नेता सत्ता में है तो यादव समाज मजबूत होगा उसे कोई खतरा नहीं रहता, जबकि वहीं गैर यादव में असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है. सत्ता जिस समाज के हाथ में होती है, उसे सुरक्षा की फिक्र नहीं और बाकी समाज अपने आपको असुरक्षित महसूस करता है. दरअसल आज मुल्क के नेता अपने भविष्य का फायदा देखकर चीजें कहते हैं, चाहे वो सत्ताधारी हों या विपक्ष के, सबके अपने-अपने हित हैं. लेकिन देश के हित की चिंता किसी को नहीं है. अगर देश के लिए ये नेता सोचें तो कुछ नहीं होगा और कोई असुरक्षित महसूस नहीं करेगा.

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मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरा माहौल

जमीयत उलमा-ए-हिंद के दिल्ली महासचिव मुफ्ती अब्दुल राजिक कहते हैं कि आज जिस तरह का मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरा माहौल है. वैसा माहौल आजादी के सत्तर साल में कभी नहीं रहा. मोदी सरकार आने के बाद देश का सामाजिक ताना-बाना बिगड़ा है, आज सड़क, बस, ट्रेन सब जगह मुस्लिमों के साथ घटनाएं हो रही हैं. पहले कभी कहीं कोई घटना हो जाती थी, लेकिन अब हर रोज कहीं न कहीं किसी न किसी मुस्लिम को पीट पीटकर मारा जा रहा है. प्रधानमंत्री सिर्फ बयानबाजी करते हैं, जिससे कोई फायदा नहीं है. उपराष्ट्रपति ने जो कहा है उसे देश का हर मुसलमान महसूस कर रहा है.

 उत्तर प्रदेश के रायबरेली में किराना की दुकान चलाने वाले जुबैर अहमद कहते हैं- हमें नहीं लगता है कि देश का मुसलमान अपने आपको असुरक्षित महसूस करता है. हामिद अंसारी पहले भी इस तरह का बयान दे चुके हैं.  हां ये बात जरूर है कि देश में कुछ असामाजिक तत्व हैं जो कहीं न कहीं देश का माहौल खराब करने की कोशिश करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे लोगों के खिलाफ खुले तौर पर चेतावनी दी है.

 दिल्ली में पिछले कई सालों से पत्रकारिता कर रहे मो अनस कहते हैं कि हामिद अंसारी गंभीर शख्सियत वाले इंसान हैं. वो ऐसे ही किसी मुद्दे पर राय नहीं बनाते हैं. उन्होंने मौजूदा दौर को महसूस किया है तभी कहा है.  मै भी एहसास कर रहा हूं समाज पहले जैसे नहीं रहा, उसमें बदलाव आया है. कुछ असामाजिक तत्व हैं जो लगातार देश का माहौल खराब कर रहे हैं. इस तरह का जो माहौल है वो बड़े शहरों की तुलना में छोटी जगह पर ज्यादा है.

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