बसपा सुप्रीमो मायावती के सम्मानजनक सीट मिलने पर ही गठबंधन करने की घोषणा पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सधी हुई टिप्पणी की है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाते हुए सभी विपक्षी दलों से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए पूरे विपक्ष को साथ आना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा एजेंडा देश को बचाना है, उसके लिए गठबंधन करेंगे। चाहे हमें दो कदम पीछे क्यों न हटना पड़े। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी कोई मजबूरी नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि सांप्रदायिक ताकतों को रोका जाए। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है, उसकी जिम्मेदारी है कि सभी को साथ लेकर चले औऱ महागठबंधन को मजबूत बनाए। गठबंधन का नेता और प्रधानमंत्री चुनाव के बाद तय हो जाएगा।
आरएसएस के कार्यक्रम में बुलाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि केवल समाजवादी पार्टी को ही नहीं, बल्कि देश को बचाने के लिए सभी को आरएसएस से दूर रहना होगा। भाजपा और आरएसएस ने यह एहसास दिलाया कि मैं बैकवर्ड हूं। संघ को समाजवादी ही टक्कर देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को गठबंधन बनाना चाहिए। यह कांग्रेस की जिम्मेदारी है कि वह सभी दलों को साथ लेकर चले। गठबंधन के नेतृत्व के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह चुनाव के बाद देखा जाएगा। उमर खालिद, कन्हैया कुमार जैसे नौजवान नेताओं की भूमिका पर उन्होंने कहा कि सपा में जो भी आने चाहे, हम उन्हें स्वीकार करेंगे।
सपा मुख्यालय में अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से कहा कि हमारी लड़ाई भाजपा से है। लेकिन, उससे भी बड़ी लड़ाई सामने न दिखाई देने वाली आरएसएस से है। संघ की विचारधारा से समाजवादी विचारधारा ही लड़ सकती है। कहा कि जिस आरएसएस ने 70 सालों तक अपने नागपुर मुख्यालय पर तिरंगा न फहराया हो, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
आरएसएस ने पिछले चुनाव में सपा के खिलाफ नफरत और झूठ फैलाने का काम किया। इससे सभी को सावधान रहना चाहिए। कहा कि गठबंधन के लिए हमने कांग्रेस से पहल करने को कहा है क्योंकि वह राष्ट्रीय पार्टी है। उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए।
गठबंधन में नेता एवं प्रधानमंत्री उम्मीदवार का नाम चुनाव बाद तय हो जाएगा। कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका होगी। वही भाजपा का मुकाबला कर सकेगी।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 50 साल सत्ता में रहने के दावे पर उन्होंने कटाक्ष किया। कहा, जनता में गुस्सा है, भाजपा के प्रति निराशा है इसलिए भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा।
यूपी में भाजपा की हार हुई तो यह देश की सत्ता में वापस नहीं आएगी। जिन्होंने 50 साल तक सत्ता में रहने की बात कही है, पता नही तब तक वे रहेंगे या नहीं। लेकिन यह तय है कि देश की जनता अगले 50 हफ्तों में अपना फैसला सुनाने जा रही है।
उन्होंने कहा कि देश में चुनाव बैलेट पेपर से होने चाहिए। ईवीएम की विश्वसनीयता पर उंगली उठी है। चुनाव आयोग को निष्पक्षता से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा इस बार चुनाव में किसान, बेरोजगारी, मंहगाई के मुद्दे से भाजपा को ध्यान नहीं हटाने देंगे।