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अगले तीन सालों में आ जाएगी दोबारा जवानी लाने वाली दवा

तो कभी बूढ़े नही होंगे लोग

लंदन (एजेंसी)। शोधकताओं ने हाल ही में यह दावा किया है कि अगले तीन साल यानी साल 2020 तक बाजार में आपको फिर से जवान बनाने वाली दवा आ जाएगी। यह दवा उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को उलटकर व्यक्ति को फिर से जवान बना देगी। 2 बायॉटेक फर्म के साथ काम कर रहे शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि आगामी छ: माह में इन दवाओं का मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल (ट्रीटमेंट) शुरू कर दिया जाएगा। शुरुआती एक्सपेरिमेंट्स में ड्रग निकटिनामाइड मॉनन्यूक्लियोटाइड (एनएमएन) का बूढ़े हो रहे चूहे पर परीक्षण किया गया था जिसका चूहे पर नाटकीय असर दिखा और वह फिर से जवान हो गया।

अगले तीन सालों में आ जाएगी दोबारा जवानी लाने वाली दवा

 

शोधकर्ताओं के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ वेल्स और यूस के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रमुख वैज्ञानिक प्रफेसर डेविड सिनक्लेयर ने कहा कि महज एक सप्ताह के ट्रीटमेंट के बाद ही बूढ़े चूहे की कोशिकाएं, जवान चूहे की कोशिकाओं से अलग करने योग्य नहीं थी। एक सुरक्षित और असरदार एंटी एजिंग ड्रग बनाने के हम बेहद करीब पहुंच चुके हैं और अगर सभी ट्रायल्स सही तरीके से हो जाते हैं तो 3 से 5 साल के अंदर में यह दवा मार्केट में आ जाएगी। एनएमएन, एनएडी प्लस यानी निकटिनामाइड ऐडनीन डिनोक्लियोटाइड के लेवल को बूस्ट करता है जो इस केमिकल का ऑक्सिडाइज्ड फॉर्म है और प्राकृतिक तौर पर हर शरीर की कोशिकाओं में मौजूद रहता है और डीएनए रिपेयर को कंट्रोल करने वाले प्रोटीन की परस्पर क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करता है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि डीएनए को होने वाला संचित नुकसान ही प्राकृतिक तौर पर बूढ़े होने और कैंसर का प्रमुख कारण है। एनएडी प्लस जो जरूरी प्रोटीन को मदद करने वाला एक सहायक केमिकल है वह शरीर में उम्र बढ़ने के साथ घटता जाता है। एWटी एजिंग सामग्री में इस केमिकल की संभावना को देखते हुए हाल के दिनो में एनएडी प्लस सप्लिमेंट्स की मौजूदगी ऑनलाइन काफी बढ़ गई है। हालांकि इस बात के पुख्ता सबूत अब तक नहीं मिले हैं कि इन लो-डोज सप्लिमेंट्स से बूढ़ापे को कितना कंट्रोल किया जा सकता है।

एक रिसर्च में बताया गया कि एनएडी प्लस डीएनए रिपेयर एन्जाइम की एक्टिविटी को बूस्ट करता है जिसे पीएआरपी-1 कहते हैं। समय के साथ एनएडी प्लस के घटते लेवल के साथ डैमेज हो चुके डीएनए की रिपेयर की क्षमता रखने वाले पीएआरपी-1 की क्षमता भी घट जाती है। इस शोध ने नासा को भी अपनी ओर आकर्षित किया है जो मार्स पर लंबी यात्रा पर भेजे जाने वाले अंतरिक्षयात्रियों को रेडिएशन के प्रभाव से बचाने के लिए तरीकों की खोज कर रहा है। कॉस्मिक रेडिएशन का हाई लेवल अंतरिक्षयात्रियों में 100 प्रतिशत तक कैंसर का खतरा बढ़ा देता है।

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