भारत ने छह मीटर का मानक वर्ष 1976 में अपनाया था। अब नई परिभाषा के तहत वैश्विक मानकों के अनुरूप आंकड़े जुटाए जा सकेंगे। डब्ल्यूएचओ ने भारत के लिए वर्ष 2020 तक दृष्टिहीनों की संख्या को कुल जनसंख्या के 0.3 फीसद तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बदले मानक से इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता सर्वेक्षण, 2007 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में दृष्टिहीनों की संख्या 1.20 करोड़ है। नए मानक को अपनाने से यह संख्या 80 लाख रह जाएगी।
राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीबी) की उपमहानिदेशक डॉ. प्रोमिला गुप्ता ने बताया कि स्वदेशी परिभाषा के कारण भारत में ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा होती थी। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की स्थिति कमजोर दिखती थी। एम्स (दिल्ली) के प्रो. प्रवीण वशिष्ठ ने बताया कि एनपीसीबी के मानक पर डब्ल्यूएचओ से तय लक्ष्य को पाना बहुत ज्यादा मुश्किल था। अब नई परिभाषा से इसे हासिल करना आसान हो जाएगा। एनपीसीबी का नाम भी बदल दिया गया है। अब यह द नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इंपेयरमेंट के नाम से जाना जाएगा।