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अब गोली और बम का नहीं होगा डर, अब आतंक के खिलाफ ROBOT करेगी जंग

नई दिल्ली : जल्द ही जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सेना देश में निर्मित रोबोट्स का इस्तेमाल करेगी। ये रोबोट्स लक्षित स्थानों पर गोला-बारूद पहुंचाने में सक्षम होंगे।

सेना के अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय को 544 रोबोटों की आवश्यकता के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है। इसके तरह इस तरह के मशीनों के स्वदेशी विकास के लिए रास्ता तैयार हो गया है।

रोबोटिक सिक्योरिटी और सर्विलांस को अपनाने के लिए सेना के प्रस्ताव में जोर देते हुए कहा गया है कि आतंकवाद जंगलों और ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक फैला हुआ है। ऐसे में फोर्स में इन सिस्टम्स को शामिल करने की आवश्यकता है।

सेना ने रोबोटिक प्लेटफार्म्स के लिए एक मजबूत वकालत करते हुए कहा, जिस तरह से जम्मू और कश्मीर में स्थिति बन रही है, यह केवल समय की बात है जब सुरक्षा बल बिल्ड-अप और सुपर बिल्ट-अप एरिया में खतरे का सामना करेंगे।

प्रतिदिन के कामों को करने में शामिल राष्ट्रीय रायफल्स एलीट काउंटर टेरेरिज्म फोर्स है, जिसे 90 के दशक में तैयार किया गया था। सेना नोट के मुताबिक, राष्ट्रीय रायफल्स के द्वारा रियल टाइम इनपुट को हासिल करने के लिए रोबोटिक सर्विलांस प्लेटफॉर्म्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

हल्के रोबोट्स में 200 मीटर की रेंज के साथ सर्विलांस कैमरे और ट्रांसमिशन सिस्टम के अलावा कई सिस्टम्स शामिल हैं। सेना की जरूरतों में कहा गया है कि रोबोट को स्टन ग्रेनेड जैसे उपयुक्त गोला बारूद की डिलीवरी करने में सक्षम होना चाहिए। रोबोटिक निगरानी प्लेटफॉर्म के लिए अनुमोदन रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 में अधिग्रहण के ‘मेक’ श्रेणी के अंतर्गत रखा गया है, जो बताता है कि केवल भारतीय विक्रेता ही इस प्रोजेक्ट के लिए पात्र होंगी।

 

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