सीलिंग से फिलहाल व्यापारियों को दिल्ली में राहत मिलने की उम्मीद कम होती जा रही है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाते हुए मास्टर प्लान 2020 संभावित संशोधन पर रोक लगा दी. यह संशोधन केंद्र सरकार की दिल्ली में सीलिंग का दंश झेल रहे व्यापारियों को राहत देने की एक बड़ी कोशिश थी, जो अब कोर्ट के फैसले के बाद पूरी तरह से विफल साबित हुई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर व्यापारियों में खासी नाराजगी है, मायूस व्यापारी सरकार फिर चाहे वह दिल्ली की हो या केंद्र की उसको कोस रहे हैं.
कोर्ट से इन संशोधनों पर रोक लगने के तुरंत बाद ही मॉनिटरिंग कमेटी ने दिल्ली में सीलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई, इसी सिलसिले में मॉनिटरिंग कमेटी की टीम पहले अमर कॉलोनी मार्केट पहुंची जहां उसे व्यापारियों का भारी विरोध झेलना पड़ा. अमर कॉलोनी मार्केट में व्यापारियों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया और इसी सिलसिले में लाजपत नगर फ्लाईओवर को भी जाम कर दिया गया. आधे घंटे तक लाजपत नगर फ्लाईओवर पर जाम की स्थिति बनी रही जिसके बाद मॉनिटरिंग कमेटी ने अतिरिक्त फोर्स की मांग की जो नहीं मिलने पर टीम को बिना सीलिंग किए ही वापस लौटना पड़ा.
खान मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मेहरा का कहना है कि यह गलत है. कोर्ट के आदेश का हम स्वागत और सम्मान करते हैं लेकिन हम अपनी बात कोर्ट के सामने जरूर रखेंगे. शुरुआत से ही हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है. व्यापारी अगर नुकसान उठाएगा तो इसमें प्रदेश और देश की भी प्रगति रुकेगी. व्यापारियों को परेशान करने की कोशिश पहले से की जा रही है और कोर्ट में भी हमारी बात सही तरीके से नहीं रखी गई इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट को इतना कड़ा कदम उठाना पड़ा. हम कल एक मीटिंग करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी.
दिल्ली के हर छोटे-बड़े बाजार पर सीलिंग का कहर कभी भी गिर सकता है. व्यापारी डरे हुए हैं. सदर बाजार जैसे बड़े थोक बाजारों से लेकर लाजपत नगर जैसे रिटेल मार्केट में भी दुकानदार बेहद मायूस हैं. लाजपत नगर में सालों से कपड़े की दुकान लगाने वाले रहमान का कहना है कि अगर हम गलत हैं तो हमें यह बताया जाए कि सही क्या है. हम अपनी गलतियों को सुधारने के लिए तैयार हैं लेकिन हमारी दुकानें बंद करके हमारी रोजी- रोटी छीन लेना सही नहीं है.
गौरतलब है कि दिल्ली के लोगों को सीलिंग से राहत दिलाने के लिए डीडीए ने हाल ही में मास्टर प्लान में संशोधन के लिए सुझाव व आपत्तियां मांगी थीं. दिल्ली वालों को सीलिंग से बचाने के लिए इन सुझावों को फाइनल किया जाना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की राय से अब सीलिंग से राहत मिलने के प्रयास कम होते जा रहे हैं.