अब निजी बसों को भी सुरक्षा दे सकती है सरकार
हमले के बाद मंगलवार को सुरक्षा के मुद्दे पर एक के बाद कई बैठकें हुईं। शुरुआत गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जिन्होंने सिक्यॉरिटी पर नियमित बैठक की। इसके बाद, जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती और गवर्नर एनएन वोहरा ने भी अलग-अलग मीटिंग करके सुरक्षा हालात का जायजा लिया। वोहरा श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन भी हैं। बाद में एक और बड़ी बैठक कश्मीर में हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर के अलावा सेना, इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों के टॉप अधिकारी शामिल हुए।
बताया जा रहा है कि सभी सुरक्षा बैठकों में मुख्य रूप से तीन बातों पर फोकस किया गया। पहला यह कि अमरनाथ अटैक की वजह से राज्य या देश में कोई बुरा असर न पड़े। इसके अलावा, सिक्यॉरिटी ग्रिड को पुख्ता किया जाए और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को चाक-चौबंद कैसे किया जाए। एक टॉप इंटेलिजेंस अधिकारी ने बताया, ‘सोमवार को हुए हमले के मद्देनजर हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यात्रियों के टूरिजम संबंधित हितों का ख्याल रखते हुए सरकारी काफिले की सुरक्षा पुख्ता बनी रहे। नई व्यवस्था के तहत निजी गाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे सरकारी सुरक्षा दायरे में ही सफर करें। ‘
समीक्षा बैठकों में जिन अन्य बातों पर फोकस किया गया, उनमें इस मुद्दे पर भी विचार किया गया कि क्या सुरक्षाबलों की रोड ओपनिंग पार्टियों (ROP) को ज्यादा वक्त तक सड़कों पर रखा जाए ताकि शाम 7 या साढ़े 7 के बाद प्राइवेट गाड़ियों पर आतंकी हमलों की आशंकाओं को खत्म किया जा सके। बता दें कि सोमवार को तीर्थयात्रियों की बस पर हुआ हमला शाम सवा 8 बजे के करीब हुआ था। यह हमला आरओपी के हटने के घंटे भर के भीतर ही हुआ था।
अमरनाथ यात्रा के रूट पर ड्रोन्स भी तैनात किए गए हैं ताकि संदिग्ध आतंकियों पर नजर रखी जा सके। हालांकि, एक अधिकारी का मानना है कि ये ड्रोन्स समतल के बजाए पहाड़ी इलाकों में ज्यादा कारगर हैं। अधिकारी ने कहा, ‘ये (ड्रोन्स) शहरों और कस्बों में सड़कों व कस्बों के नजदीक भागते आतंकियों को पकड़ने में शायद मददगार साबित न हों। इनकी मदद से जांच के वक्त आतंकियों के भागने का रूट आदि पता किया जा सकता है। आतंकियों की संख्या संभवत: चार थी, जिनमें से दो मोटरसाइकल पर थे।’