राजधानी में निजी स्कूलों ने अपने अलग-अलग बुक सेलर से सांठगांठ की हुई है। एक विशेष स्कूल की किताब केवल बताए गए बुक सेलर के पास ही मिल सकती है। इसका फायदा उठाते हुए पुस्तक विक्रेता खूब चांदी कूट रहे हैं। अभिभावक स्कूल से मिली हुई सूची लेकर यहां पहुंचते हैं उन्हें सीधे एक किताबों का सेट थमा दिया जाता है। हर सेट का रेट पहले से तय है।
अभिभावकों से सीधा पैसा मांगा जाता है। घंटों लाइन में लगने वाले पैरेंट्स भी पैसा दे देते हैं। अब यहां बिल मांगा तो समझो बुक सेलर के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ेगा। लिहाजा, पैरेंट्स चुपके से लौट आते हैं और बुक सेलर टैक्स हजम कर जाता है।
अभिभावकों को इस बात की शिकायत है कि बुक सेलर जो भी रेट दे लेकिन कम से कम सरकार का टैक्स तो हजम न करें। वैट या सेल टैक्स जो भी उन पर बैठता हो, ईमानदारी से उसे काटने के बाद हमें बिल बनाकर दे। हाल ही में पूर्व सीएम हरीश रावत का स्टिंग चर्चाओं में आने के बाद अब अभिभावक भी इस तरह के तरीके अपना रहे हैं। यह बात अलग है कि अभी तक इस मामले में सभी संबंधित टैक्स वसूलने वाले विभाग खामोश हैं।
फेसबुक पर वायरल स्टिंग ऑपरेशन
अभिभावक : बिल दीजिए।
बुक सेलर : बिल नहीं है।
अभिभावक : ये तो कोई बात नहीं हुई।
बुक सेलर : बिलबुक होगी तो देंगे ना। अप्रैल के बाद आ जाना।
अभिभावक : मतलब पुस्तकें आज खरीदी, बिल आज चाहिए, अप्रैल के बाद हम बिल लेने आएं।
बुक सेलर : ठीक है रसीद दे देंगे, अपने साइन करके।
अभिभावक : सर, जब आदमी सामान खरीदता है तो बिल तो उसका अधिकार है ना।
इसके बाद बुक सेलर एक पर्ची हाथ से बनाकर उस पर साइन करके थमा देता है।