उत्तराखंड के विकास पुरुष नारायण दत्त तिवारी ने आज दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। एनडी के निधन से राजनीति पार्टियों में शोक की लहर दौड़ गई। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी को ब्रेन स्ट्रोक आने के कारण 29 सितंबर 2017 से दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती थे।
पिछले छह महीने से उनकी हालत काफी नाजुक थी। इस दौरान कई बार उनके निधन की खबरें भी आईं। लेकिन आज अपने 92वां जन्मदिन के मौके पर उन्होंने आखिरी सांस ली। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर उनके प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की और उनके निधन को राजनीतिक जगत की बड़ी क्षति बताया।
दो-दो राज्य का मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ
नारायण दत्त तिवारी देश के पहले ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जिन्हें दो-दो राज्य का मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ। वह नेहरू-गांधी के दौर के उन चंद दुर्लभ नेताओं में थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रिय योगदान दिया। केंद्र में वित्त, विदेश, उद्योग, श्रम सरीखे अहम मंत्रालयों की कमान संभाल चुके एनडी तिवारी को जब उत्तराखंड सरीखे छोटे राज्य की कमान सौंपी गई तो उत्तराखंड की आंदोलनकारी शक्तियां असहज और स्तब्ध थी।
उत्तराखंड के विकास में एनडी का अहम योगदान
जानकारों की मानें तो जिस समय एनडी तिवारी को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया, उस वक्त एनडी तिवारी उत्तराखंड में अवस्थापना विकास और उद्योग की आधारशिला रखने में कामयाब हुए थे।
उनके अनुयायियों ने एनडी के लिए विकास पुरुष की उपमा गढ़ी। उनके पक्ष और विपक्ष में बैठे प्रतिद्वंद्वी भी उत्तराखंड के विकास में एनडी के योगदान की दाद देते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद एनडी ने अपने केंद्रीय रिश्तों के दम पर निवेशकों को उत्तराखंड आने को विवश किया। राजमार्गों और सर्किल मार्गों को रिकॉर्ड समय में तैयार कराया। नये राज्य की तरक्की उनके विजन से ही उनके उत्तराधिकारी आगे की राह तैयार करते आए हैं।
सपा से नजदीकी और भाजपा को समर्थन
एनडी तिवारी खांटी कांग्रेसी रहे, पर उनके राजनैतिक संपर्क और नजदीकियों को लेकर सवाल रहा। यूपी प्रवास के दौरान वह समाजवादी पार्टी के करीब रहे। उनके बेटे को तत्कालीन सपा सरकार ने एक ओहदा के साथ तमाम सुविधाएं प्रदान की। मुलायम यादव और अखिलेश के विवाद में उन्होंने हस्तक्षेप किया था और बाकायदा मुलायम को पत्र लिखते हुए अखिलेश का आशीर्वाद देने की सलाह दी थी।
एनडी भले यूपी में सपा के रंग में दिखते हो, इसके बाद वह जैसे ही यूपी सीमा खत्म होते ही उत्तराखंड की सीमा में पहुंचते कांग्रेस के नजदीक आ जाते। तमाम कांग्रेस के आला नेता उनके आसपास डेरा डाले रहते। इस 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन देने पहुंचे और दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात तक भी की। इस राजनैतिक यू टर्न को लेकर भी तरह-तरह की चर्चा रही।