उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को एक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह दावा किया जाता है कि अदालतें ‘‘सरकार चलाने की कोशिश कर रही हैं’’ जो काम ही नहीं करना चाहती। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने देश में निराश्रित विधवाओं की स्थिति पर ध्यान न दिए जाने पर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, ‘‘आप (सरकार) इसे करना नहीं चाहते और जब हम कुछ कहते हैं तो आप कहते हैं कि अदालत सरकार चलाने की कोशिश कर रही है ।’’
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शीर्ष अदालत ने निराश्रित विधवाओं की स्थिति में सुधार के लिए अपने निर्देशों के बावजूद सहमति युक्त दिशा-निर्देशों के साथ न आने पर सरकार पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया और उसे ऐसा करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया। पीठ ने कहा, ‘‘आप भारत की विधवाओं की स्थिति पर ध्यान नहीं देते हो। आप हलफनामा दायर करें और कहें कि आप भारत की विधवाओं को लेकर चिंतित नहीं हैं। आपने कुछ नहीं किया है…यह पूरी तरह बेबसी है । सरकार कुछ नहीं करना चाहती ।’’
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शीर्ष अदालत ने पूर्व में केंद्र से राष्ट्रीय महिला आयोग के सुझावों पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाने तथा देश में विधवाओं की स्थिति में सुधार के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा था ।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के वकील ने न्यायालय को सूचित किया था कि राष्ट्रीय महिला आयोग और विशेषज्ञों के सुझावों पर चर्चा करने के लिए 12 और 13 अप्रैल को बैठक होनी थी। पीठ ने आज की सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील से पूछा कि न्यायालय को आश्वासन दिए जाने के बावजूद यह बैठक क्यों आयोजित नहीं की गई।