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अयोध्या मामले में पहला फैसला : अदालत ने ख़ारिज की तीसरे पक्षों की हस्तक्षेप याचिकाएं

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर सर्वोच्च न्यायलय में सुनवाई बुधवार को शुरू हुई, जिसमें पहला अहम फैसला देते हुए कोर्ट ने तीसरे पक्षों की सभी हस्तक्षेप याचिकाएं खारिज कर दीं। सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका की मौलिकता के बारे में कहा तो विरोधी वकीलों ने इसका विरोध किया।

हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ सबसे पहले सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने उच्चतम न्यायलय का दरवाजा खटखटाया था, लिहाज़ा पहले बहस करने का मौका उन्हें मिल सकता है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने काग़जी कार्रवाई और अनुवाद का काम पूरा करने के आदेश दिए थे। जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले से जुड़े 9 हज़ार पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी। गौरतलब है कि यह विवाद लगभग 68 वर्षों से कोर्ट में है।

मुस्लिम पक्ष के राजीव धवन ने कहा कि स्वामी की याचिका को नहीं सुना जाय, इस पर नाराज़ स्वामी बोले कि ये लोग पहले भी कुर्ता-पजामा के खिलाफ बोल चुके हैं। राजीव धवन ने कहा कि हस्तक्षेप याचिका दायर कर कोर्ट में पहली कतार में बैठने का ये मतलब नहीं कि उनको पहले सुना जाय। इस पर स्वामी ने पलट कर जवाब दिया कि पहले ये लोग मेरे कुर्ते-पाजामे पर सवाल उठा चुके हैं और अब अगली कतार में बैठने पर। इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने 14 मार्च से लगातार सुनवाई करने की बात कही थी। गौरतलब है कि 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने हुई मीटिंग में सभी पक्षों ने कहा कि काग़जी कार्रवाई और अनुवाद का काम लगभग पूरा हो गया है।

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