‘अयोध्या में गोली चलवाकर मुलायम ने निभाया था अपना उत्तरदायित्व’
समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और राज्यसभा में पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने वर्ष 1990 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा अयोध्या में गोली चलवाने के निर्णय का सही ठहराते हुये कहा है कि यादव ने परिस्थितियों के मद्देनजर अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह किया और हजारों लोगों के जीवन की रक्षा की।
16000 की जान बचाई गई
राम गोपाल यादव ने अपनी किताब ‘संसद में मेरी बात’ में अयोध्या मामले का उल्लेख किया है। छह दिसम्बर 1999 को अयोध्या के सम्बन्ध में संसद में दिये अपने भाषण में यादव ने 1990 में मुलायम सिंह यादव सरकार के गोली चलवाने को सही ठहराने की कोशिश की गयी है। किताब में लिखा है कि गोलीकाण्ड में मात्र 16 लोग मरे थे लेकिन इस निर्णय से सोलह हजार लोगों की जान बच गयी थी।
ताकत के बल पर नहीं कुचल सकते संविधान
राजनीतिक चिंतक डी एच ग्रीन का हवाला देते हुए उन्होने कहा कि राज्य का आधार इच्छा होती है शक्ति नहीं। बहुमत के बल पर, ताकत के बल पर आप पूरे संविधान को कुचल नही सकते। अगर इस तरह का काम होगा तो राज्य फिर राज्य नही रहेगा। लोगो के हित में कुछ काम नही होगा।
सुरक्षाबलों ने की बाबरी मस्जिद की रक्षा
किताब में पुलिस और पीएसी की तारीफ की गयी है और कहा गया है कि 1990 में इन्हीं सुरक्षा बलों ने बाबरी मस्जिद की रक्षा की थी इसलिए पुलिस और पीएसी पर अंगुली नहीं उठायी जा सकती। अगर नेतृत्व गलत होगा, लीड करने वाला गलत होगा तो उसी दिशा में लोग चलेंगे।
अयोध्या में भूमि अधिग्रहण पर सवाल उठाया
प्रो यादव का दावा है कि छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस तत्कालीन केन्द्र और राज्य सरकार की चूक का नतीजा था। यादव की किताब ‘संसद में मेरी बात’ में यह दावा करते हुए अयोध्या में भूमि अधिग्रहण पर भी सवाल उठाया गया है।
मुलायम सिंह ने किया विमोचन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने आज इस किताब का विमोचन किया। उस समय निकली बहुचर्चित रथयात्रा को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये गये हैं। संसद में रामगोपाल यादव के भाषणों के संकलन’ संसद में मेरी बातट में लिखा गया है कि यात्रा तत्कालीन प्रधानमंत्री की राय और सहमति से निकाली गयी थी। उस वक्त भी अयोध्या में जो हुआ वह देश की सरकार की सहमति से हुआ।
केंद्र ने नहीं किया सहयोग
किताब में कहा गया है कि केन्द्र सरकार ने यदि उस समय मुलायम सिंह यादव सरकार को सहयोग दिया होता तो वास्तव में बाबरी मस्जिद पर कोई परिन्दा पर नहीं ही मार सकता था। किताब में रामगोपाल यादव के 21 दिसम्बर 1992 को संसद में दिये भाषण का जिक्र करते हुए लिखा गया है, ‘राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद तीस घण्टे तक उनको(अधिकारियों) किसने रोक रखा था। उन्होंने राष्ट्रपति शासन में अयोध्या में मेक शिफ्ट टेम्पल बन जाने की जांच की भी मांग की थी।’
साम्प्रदायिक ताकतों पर कड़ाई से प्रतिबन्ध लगाने की थी मांग
संसद में 29 मार्च 1993 को उनके भाषण का हवाला देते हुए अयोध्या भूमि अधिग्रहण को असंवैधानिक बताया गया है। किताब में उल्लिखित है कि अयोध्या में भूमि अधिग्रहण विधेयक 1993 पर बहस करते हुए यादव ने साम्प्रदायिक ताकतों पर कड़ाई से प्रतिबन्ध लगाने की मांग की थी। यादव ने छह दिसम्बर 1992 के मुकदमे को जल्द से जल्द निपटवाने की मांग की है।
आरएसएस चीफ के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी
उन्होंने इस बाबत सदन में एक राय बनाने का भी सुझाव दिया है। उनके चार फरवरी 2016 के भाषण का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि अयोध्या में राम मन्दिर के सम्बन्ध में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सरकार की शह पर दिया गया है। अगर शह न होता तो आरएसएस चीफ के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी।