अवधि खत्म होने के बाद भी 3 साल से मंगलग्रह के चक्कर लगा रहा है मंगलयान
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वहीं, इसरो के वैज्ञानिक इस मंगलयान को ‘महायान’ कहते नहीं थक रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि छह महीने पहले ही इसकी अवधि खत्म हो चुकी है लेकिन आज 34 महीनों के बाद भी ये रोजाना मंगल ग्रह के महत्वपूर्ण जगह की तस्वीरें और डेटा भेज रहा है। इतना ही नहीं भारतीय वैज्ञानिकों ने इसे भारत के अंतरिक्ष इतिहास में सबसे बड़ा मिशन करार दिया और कहा कि इस मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) का प्रदर्शन अंतरिक्ष विज्ञानियों को खुश कर देने वाला है।
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भारत के इस मिशन में 450 करोड़ रुपये की लागत आई थी। इसका उद्देश्य मंगल की सतह, वहां की घाटियों, पर्वतों, बादलों और वहां उठने वाले धूल भरे तूफानों की शानदार तस्वीरें तथा डेटा मुहैया कराना है।
मंगलयान लगभग तीन दिन में मंगल की कक्षा का एक चक्कर पूरा करता है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मंगलयान अपने साथ 5 पेलोड लेकर गया था जिनमें मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), मीथेन सेंसर फॉर मार्स (एमएसएम), लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी), मार्स एक्सोस्फेयरिक न्यूट्रल कंपोजीशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस) शामिल हैं।