इससे पहले आकाश मिसाइलें भारतीय सेना की पहली पसंद हुआ करती थी। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक भारतीय सेना की निगाहें अब इजरायली मिसाइलों पर टिक गई हैं।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सेना की ओर से साफ किया गया है कि अब आकाश रेजीमेंट्स की और जरूरत नहीं है। 14,180 करोड़ के पहले दो ऑर्डर आ चुके हैं, इसमें 6 फायरिंग बैटरी और सैकड़ों मिसाइलें शामिल हो गई हैं।
सेना के इस कदम के बाद कहीं न कहीं ये ‘मेक इन इंडिया’ योजना को झटका है, खास तौर से भारतीय नौसेना ने अपनी मिसाइल जरूरतों को पूरा करने के लिए फ्रांस का रुख किया है। आकाश मिसाइल की जगह नौसेना ने इन मिसाइलों की तैनाती पर जोर दे रहा है।
जबकि इजरायल, रूस और स्वीडन के मिसाइल सिस्टम को सेना ने एक्सटेंशिव फील्ड ट्रायल के तहत संचालित किया है। सेना के सूत्रों के मुताबिक इजरायल के स्पाइडर क्यूआर-एसएएम इस रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने पहले फरवरी 2017 तक स्पाइडर की दो यूनिट्स के कोर्स की योजना बनाई है। इसके साथ-साथ फोर्स ने 15 आकाश मिसाइल को भी बेड़े में शामिल किया है, इसके लिए दस हजार नौ सौ करोड़ खर्च किए हैं, इनमें से 6 मिसाइलों को उत्तर पूर्व में चीन से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है।