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आकाश नहीं, अब भारतीय सेना को पसंद आ रही इजरायली मिसाइलें

एजेन्सी/  akash-missile-2_landscape_1459329093भारतीय सेना, सतह से हवा में मार करने वाली इजरायली मिसाइलों को अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रहा है। सेना के मुताबिक ये मिसाइलें त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम हैं। इनके जरिए दुश्मनों के फाइटर्स, हेलीकॉप्टर और ड्रोन्स को निशाना बनाया जा सकता है।

इससे पहले आकाश मिसाइलें भारतीय सेना की पहली पसंद हुआ करती थी। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक भारतीय सेना की निगाहें अब इजरायली मिसाइलों पर टिक गई हैं।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सेना की ओर से साफ किया गया है कि अब आकाश रेजीमेंट्स की और जरूरत नहीं है। 14,180 करोड़ के पहले दो ऑर्डर आ चुके हैं, इसमें 6 फायरिंग बैटरी और सैकड़ों मिसाइलें शामिल हो गई हैं।

सेना के इस कदम के बाद कहीं न कहीं ये ‘मेक इन इंडिया’ योजना को झटका है, खास तौर से भारतीय नौसेना ने अपनी मिसाइल जरूरतों को पूरा करने के लिए फ्रांस का रुख किया है। आकाश मिसाइल की जगह नौसेना ने इन मिसाइलों की तैनाती पर जोर दे रहा है।

मिसाइल रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की कवायद

 
सेना के सूत्रों के मुताबिक आकाश रक्षा मिसाइल प्रणाली पर कार्य करता है, लेकिन वह दुश्मनों के हवाई हमलों के खिलाफ स्ट्राइक कोर की रक्षा के लिए संचालन की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते।

जबकि इजरायल, रूस और स्वीडन के मिसाइल सिस्टम को सेना ने एक्सटेंशिव फील्ड ट्रायल के तहत संचालित किया है। सेना के सूत्रों के मुताबिक इजरायल के स्पाइडर क्यूआर-एसएएम इस रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भारतीय वायुसेना ने पहले फरवरी 2017 तक स्पाइडर की दो यूनिट्स के कोर्स की योजना बनाई है। इसके साथ-साथ फोर्स ने 15 आकाश मिसाइल को भी बेड़े में शामिल किया है, इसके लिए दस हजार नौ सौ करोड़ खर्च किए हैं, इनमें से 6 मिसाइलों को उत्तर पूर्व में चीन से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है।

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