वडोदरा : डिजिटल दुनिया के इस दौर में अभी भी कुछ चीजें हमें ऐसी दिख जाती हैं जो कि आपको प्राचीनता की झलक दिखलाती हैं। इन्हीं में से एक है आदिवासियों की एक घड़ी। ये घड़ी आम घडिय़ों से विपरीत है। दरअसल ये घड़ी दाहिने से बाएं घूमती है। इनमें 9 से पहले 10 बज जाते हैं। दक्षिण और मध्य गुजरात में लोग बहुत तेजी से इस तरह की घडिय़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस घड़ी को बनाने वाले तापी जिले के आदिवासी कार्यकर्ता लालसिंह गमित हैं। लाल सिंह ने दो साल में अब तक 10 से 15 हजार घडिय़ां बेची जा चुकी हैं। 70 वर्षीय भेडी कहते हैं कि ऐसे कई कारण हैं जिसकी वजह से आदिवासी इस गैर परंपरागत घड़ी का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, आदिवासी प्रकृति और उसके तत्वों की पूजा करते हैं। होली और शादी में भी आदिवासी दाहिने से बाएं या कहें कि घड़ी के विपरीत जाते हैं। वे अभी भी इस परंपरा को मानते हैं।