आखिर क्यों स्वर्ण मंदिर में घुसना पड़ा था इंडियन आर्मी को?
एजेंसी/ देश के इतिहास के सबसे भयावह मिलिट्री ऑपरेशन्स में से एक ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। इतने वर्षों बाद भी उस ऑपरेशन को लेकर अलग-अलग लोगों की अलग राय है।
सिख धर्मावलंबियों के लिए यह उनकी आस्था पर हमला था वहीं संविधान को मानने वालों के अनुसार यह ऑपरेशन स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से मुक्त कराने की कोशिश थी।
अलग खलिस्तान की मांग से बढ़ चरमपंथ
70 के दशक की शुरुआत के साथ ही पंजाब में खालिस्तान नाम से अलग राज्य की मांग और चरमपंथ बढ़ गया था। अकाली अलग राज्य की मांग कर रहे थे और कहा जाता है कि उन्हें रोकने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार तथा कांग्रेस पार्टी एक ऐसा धड़ा तैयार करना चाहती थी जो अकालियों की राजनीति खत्म कर सके।
इसलिए भिंडरावाला को शह दी गई। तारीख को कुछ और ही मंजूर था और 1981 में अलग खलिस्तान का झंडा फहाराया गया।
क्यों हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार?
1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल ही हत्या से माहौल गर्मा गया। उसी साल जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस में चुन-चुनकर हिंदुओं की हत्या कर दी। इसके बाद विमान हाईजैक हुए। स्थिति काबू से बाहर हो गई और केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।
अब तक स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना चुका भिंडरावाला सरकार के निशाने पर आ चुका था और स्वर्ण मंदिर को चरमपंथियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार प्लान किया गया।
3 जून की रात
केंद्र सरकार ने भारतीय थल सेना को स्वर्ण मंदिर को स्वतंत्र कराने का जिम्मा सौंपा। जनरल बरार को ऑपरेशन ब्लूस्टार की मान सौंपी। 3 जून को सेना ने अमृतसर में प्रवेश किया। चार जून की सुबह गोलीबारी शुरू हो गई।
सेना को चरमपंथियों की ताकत का अहसास हुआ तो अगले ही दिन टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों का उपयोग किया गया। 6 जून की शाम तक स्वर्ण मंदिर में मौजूद भिंडरावाला व अन्य चरमपंथियों को मार गिराया गया। लेकिन तब तक मंदिर और जानमाल का काफी नुकसान हो चुका था।
आक्रोश फैला
ऑपरेशन के बाद सरकार ने श्वेत पत्र जारी कर बताया कि ऑपरेशन में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए और 248 अन्य सैनिक घायल हुए। इसके अलावा 492 अन्य लोगों की मौत की पुष्टि हुई और 1,592 लोगों को हिरासत में लिया गया। 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई और दंगे भड़क गए।
कौन था भिंडरावाला
बंटवारे के दौरान पंजाब में कट्टरपंथी विचारधारा जन्म लेने लगी। इस दौरान भिंडरावाला जब आकली अलग सिख राज्य की मांग कर रहे थे तब दमदमी टकसाल में एक लड़का सिख धर्म की पढ़ाई करने आया। इसका नाम था जरनैल सिंह भिंडरावाला। उसकी धर्म के प्रति कट्टर आस्था ने उसे सबका प्रिय बना दिया और जब टकसाल के गुरु का निधन हुआ तो भिंडरावाला को टकसाल प्रमुख का दर्जा मिल गया। इसके बाद भिंडरावाला का प्रभाव बढ़ने लगा और देश विदेश में उसे समर्थन मिला।
क्या हुआ खालिस्तान का
1990 के दशक में खालिस्तान की मांग कमजोर पड़ती गई। हालांकि ऑपरेशन ब्लू स्टार की तारीख पर आज भी हर साल पंजाब में विरोध प्रदर्शन होता है। ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका में रह रहे सिख समुदायों में अभी भी अलग खलिस्तान को लेकर मांग उठती रही है। समझा जाता है कि भारत से बाहर दो से तीन करोड़ सिख रहे हैं। उनमें से ज्यादातर का भारतीय पंजाब में कोई न कोई जुड़ाव है।
अभी भी है आंदोलन
विदेशों में रहने वाले सिख अभी भी अपने आंदोलन के लिए सहयोग हासिल करने की कोशिश करते हैं। वे इसके लिए अलग से पैसे भी इकट्ठा करते हैं। ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर उनकी याद इतनी जबरदस्त है कि इसकी अगुवाई करने वाले कमांडर कुलदीप सिंह ब्रार पर लंदन की सड़कों पर 2012 में हमला किया गया। हालांकि इसमें कमांडर ब्रार बच गए।