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आजाद का आरोप, माल्या को भागने में सरकार शामिल
उद्योगपति विजय माल्या के देश छोडऩे का मुद्दा गुरुवार को राज्यसभा में उठा जहां विपक्ष ने माल्या के पासपोर्ट जब्त नहीं करने और उनके भागने में साथ देने का आरोप लगाया। सरकार ने कहा कि किसी भी दिवालिये को छोड़ा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
सदन की कार्यवाही शुरू होते की विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक का लोन लेकर माल्या देश छोड़कर भाग गए हैं। दुनिया के अधिकांश देशों में घर रखने वाले और विलासिता की जिंदगी जीने वाले इस व्यक्ति का पासपोर्ट क्यों जब्त नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति के खिलाफ केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने जुलाई 2015 में मामला दर्ज किया था और अभी सीबाआई सहित चार प्रमुख एजेंसियां उनके खिलाफ जांच कर रही है।
आजाद ने कहा कि माल्या कोई सूई नहीं है जो देश छोड़ गए और किसी ने उन्हें देखा तक नहीं। उन्हें एक किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। उनके साथ पूरा लावलश्कर होता है। अब उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। उन्हें पहले ही गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। उनका पासपोर्ट जब्त किया जाना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि माल्या को भागने में सरकार ने साथ दिया है और इसलिए इस मामले में सरकार को भी पक्ष बनाया जाना चाहिए।
इस पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि माल्या की कंपनी को सितंबर 2004 में लोन दिया गया था। इसके बाद दो फरवरी 2008 को लोन का नवीनीकरण किया गया और वित्तीय स्थिति खराब होने के बावजूद 21 दिसंबर 2010 को लोन का पुनगर्ठन किया गया तथा कई तरह की सुविधाएं दी गई। उन्होंने कहा कि माल्या पर 9900 करोड़ रुपए से अधिक की देनदारी है।
नहीं छोड़ा जाएगा
जेटली ने कहा कि देश में किसी भी दिवालिये व्यक्ति को नहीं छोड़ा जाएगा। अभी उनके पास इस तरह के 22 मामलों की सूची है जिनमें कार्रवाई की जा रही है। संपत्ति जब्त की जा रही है या आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। बैंक एक एक पैसा वसूलेगा। उन्होंने कहा कि जब दिलीप मोदी विदेश गए थे उस समय कांग्रेस की सरकार थी और उनके खिलाफ फेमा के तहत मामला दर्ज की किया गया था जिसमें गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है। इस पर कांग्रेस सदस्य हगांमा करने लगे।
उद्योगपति को लोन देने की सिफारिश नहीं की
इसी बीच आजाद ने कहा कि तिथि बताकर कांग्रेस पर आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि इस मामले में बैंक के अधिकारी से लेकर यदि कोई राजनेता भी शामिल है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह तक की सरकारों ने किसी उद्योगपति को लोन देने की सिफारिश नहीं है। इसके बाद दूसरे दलों के सदस्यों ने इस मामले को उठाने की कोशिश की लेकिन उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है सभी को बोलने दिया गया जाएगा।
नेता विपक्ष को सदन में लोक महत्व के विषय को उठाने का अधिकार है और इसी के तहत उन्हें शून्यकाल के बीच बोलने दिया गया है। समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने कहा कि कोई व्यक्ति इतनी बड़ी राशि में दिवालिया हो वह सदन का सदस्य कैसे हो सकता है। माल्या के मामले को आचरण समिति में ले जाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
देश छोडऩे की अनुमति क्यों दी
शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि माल्या को देश छोडऩे की अनुमति कैसे दी गई। उन्होंने कहा कि माल्या को किसके कार्यकाल में लोन दिया गया सवाल नहीं है। सवाल है कि उन्हें देश छोडऩे की अनुमति क्यों दी गई। उन्होंने कहा कि बैंकों ने 28 फरवरी को माल्या के खिलाफ संभावित कार्रवाई के लिए वकीलों से सलाह मशविरा किया था और वकीलों ने बैंकों को 29 फरवरी को मामला दर्ज कराने के लिए कहा था लेकिन पांच मार्च को यह मामला दर्ज कराया गया जबकि आटार्नी जनरल ने कहा है कि माल्या दो मार्च को ही देश छोड़कर चले गए।