आम आदमी के लिए नहीं भाजपा-संघ की नीतियां : सपा
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने आज यहां कहा है कि आरएसएस और भाजपा की नीति और नीयत के बारे में अंदाज लगाना मुश्किल है। भाजपा के प्रधानमंत्री विकास और सबको साथ लेकर चलने की बातें करते हैं। लेकिन उनके दल के कई साॅसद सामाजिक विद्वेष फैलाने वाले बयान देने में एक दूसरे से होड़ लेते नजर आते हैं। आरएसएस के संगठन भी अलग-अलग बोली बोलते हैं। विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के नेता पहले 4 फिर 8 और अब 10 बच्चे तक पैदा करने की सलाह देते घूम रहे हैं। धर्मांतरण डंके की चोट पर कराने का एलान होता है और विहिप के मंच से विकास की दुहाई का मजाक उड़ाया जाता है। विडंबना यह है कि इस सब पर शीर्ष स्तर से चुप्पी साध ली गई है। आखिर भाजपा और आरएसएस की मंशा क्या है? भारत देश विविध धर्मो, जातियों और परंपराओं का देश है। अनेकता में एकता इसकी विशेषता है जिसका आधार सहिष्णुता और सद्भाव है। भाजपा और संघ का इसमें विश्वास नहीं है। उनके क्रियाकलाप सामाजिक संबंधों में दरार पैदा करने और भारतीय मान्यताओं तथा परंपराओं को भी अपमानित करनेवाले हैं। “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते….“ का जाप करनेवाले महिलाओं को बच्चा पैदा करनेवाली मशीन बताने और बनाने पर तुल गए है। महिला इनकी नजर में सिर्फ भोग की वस्तु है।
हिन्दुस्तान की आजादी की लड़ाई में सभी धर्मो के लोगों ने कुर्बानियां दी थी। संविधान में भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा गया हैं। सांप्रदायिक ताकतें राष्ट्रीय एकता के तानेबाने को छिन्न-विच्छिन्न करना चाहती है। इससे देश की अखंडता को भी खतरा है। देश की प्रगति इससे बाधित होगी।
भाजपा नेता सत्ता पाते ही अहंकार में इतना डूब गए हैं कि उनका चाल चरित्र और चेहरा सब कुछ धोखा है। उनका अपनी वाणी पर संयम नहीं रह गया है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार ने कानून व्यवस्था में सुधार के साथ कृषि और उद्योग सहित समाज कल्याण की तमाम परियोजनाओं को अमली जामा पहनाकर प्रदेश को आदर्श प्रदेश बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए है। भाजपा और संघ में इससे बौखलाहट है क्योंकि प्रदेश के विकास के आगे उनकी विरोध की राजनीति विफल साबित हो रही है।
जनता भी अब समझ गई है कि भाजपा-संघ की नीतियां आम आदमी के लिए नहीं है। उनका चरित्र पूंजीघरानों के संरक्षण का है। उनके लिए विकास का अर्थ चंद बड़े घरानों का विकास है। किसान, मजदूर, गांव-गरीब उनका एजेण्डा नहीं हैं। ये विकास में अवरोध और सामाजिक सौहार्द की जगह विद्वेष को बढ़ावा देनेवाली ताकतें हैं जिनका कोई भविष्य नहीं है।