स्वास्थ्य

आयुर्वेद की अहम खोज है गिलोय

आयुर्वेद में हर बिमारी का इलाज संभव है और एलोपेथी के बढ़ते साइड इफेक्ट्स के कारण लोग एक बार फिर से आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. आयुर्वेद में भी कुछ जड़ी बूटियां अपना अहम स्थान रखती है और गिलोय भी आयुर्वेद की एक अहम खोज मानी जाती है. आज हम आपको गिलोय के फायदों के बारे में जानकारी देंगे।

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यदि आप मधुमेह के रोगी हैं तब गिलोय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं क्योंकि इस हर्ब में शुगर घटाने वाले गुण पाए जाते हैं. गिलोय का नियमित सेवन टाइप 2 डाइबिटीज वाले रोगियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है. गिलोय के रक्तचाप कम करने का और रक्त संचरण सुधारने वाले प्राकृतिक गुण होता है जो आपके दिल को सेहतमंद रखता है और दिल की बीमारियों से बचाये रखता है. पीलिया की स्थिति में इसके चूर्ण को काली मिर्ची, हनी और त्रिफला चूर्ण के साथ लिया जाता है. इसके बाद एक चम्मच गिलोय के पत्तों के रस को एक गिलास दही की छाछ में मिलकर पिया जाता है.

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गिलोय और गेहूं के ज्वारे के रस के साथ तुलसी के 7 पत्ते तथा नीम के पत्ते खाने से कैंसर जैसे रोग में भी लाभ होता है। गिलोय और पुनर्नवा मिर्गी में लाभप्रद होती है। इसे आवश्यकतानुसार अकेले या अन्य औषधियों के साथ दिया जाता है। अनेक रोगों में इसे पशुओं के रोगों में भी दिया जाता है। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। गिलोय रोग संक्रमण रोकने में सक्षम होती है। यह एक श्रेष्ठ एंटीबयोटिक है। गिलोय की जड़ें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है। यह कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग की जाती है।

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