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इन चमत्कारों ने मदर टेरेसा को बनाया ‘संत’

mother-teresaनई दिल्ली:दुनिया भर में ‘शांतिदूत’ के तौर पर मशहूर नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा को रविवार को वेटिकन सिटी में संत की उपाधि से नवाजा जाएगा। इस उपलब्धि की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। भारत से भी इस मौके पर शामिल होने के लिए कई दिग्गज नेता और प्रतिनिधिमंडल गए हुए हैं। मदर टेरेसा से जुड़ी कुछ ऐसी चमत्कारी घटनाएं हैं, जो उन्हें दुनिया भर में लोगों के बीच प्रिय बनाती हैं। आइए जानते हैं, ऐसी ही कुछ चमत्कारी घटनाओं के बारे में-

मदर टेरेसा का पहला चमत्कार

यह घटना पश्चिम बंगाल की मोनिका बेसरा नाम की एक आदिवासी महिला से जुड़ी है। मोनिका के पेट में एक ट्यूमर था, जिससे वह काफी परेशान रहती थी। ऐसा बताया जाता है कि खतरा इतना ज्यादा था कि डॉक्टर्स ने भी उसकी जिंदगी बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। इसके बाद उसकी देखभाल मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी ने की। इस वक्त तक उसकी हालत ऐसी हो गई थी, कि वह दर्द की वजह से सो भी नहीं पाती थी।

ऐसा दावा किया जाता है कि मदर की 1998 में पहली डेथ एनिवर्सरी पर मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी होम की सिस्टर्स ने मोनिका के पेट पर एक ‘चमत्कारी ताबीज़’ रखा। ये वही ताबीज था, जिसका स्पर्श मदर टेरेसा के शरीर से स्पर्श हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि इसके स्पर्श के बाद मोनिका को नींद आ गई, और जब वह जागी तो उसका दर्द जा चुका था। जब डॉक्टर्स ने मोनिका का मेडिकल परीक्षण किया, तो पता लगा कि उसके ट्यूमर का नामोनिशान तक नहीं था। इसे चमत्कार के तौर पर दावा किया जाता है।

इसके बाद चमत्कारों की पुष्टि करने वाले मेडिकल विशेषज्ञ, जिनमें संतों का समूह भी शामिल था, इस चमत्कार की जांच करने पहुंचे। टीम ने मेडिकल रिकॉर्ड्स जांचे और मेडिकल स्टाफ से पूछताछ की, जो मोनिका के इलाज से जुड़े हुए थे। एक्सपर्ट पैनल ने निष्कर्ष में कहा कि ट्यूमर के गायब होने की मेडिकल व्याख्या करना संभव नहीं है।

आखिरकार मदर टेरेसा की मौत के 5 साल के बाद 20 दिसंबर, 2002 को पोप जॉन पॉल ने मोनिका के मामले को चमत्कार के तौर पर स्वीकार किया।

मदर टेरेसा का दूसरा चमत्कार

दूसरा चमत्कार ब्राजील के मेकेनिकल इंजीनियर मार्सिलियो हदद एंड्रीनो से जुड़ा है। वह बैक्टीरिया के इंफेक्शन के बाद घातक मस्तिष्क की बीमारी से जूझ रहे थे। उनके सिर का दर्द असहनीय होता जा रहा था। एंड्रीनो के पादरी मित्र ने उन्हें और उनकी पत्नी को फेनेन्ड्रा नासीमेनटो रोचा को प्रेयर्स के जरिए मदर टेरेसा की मदद लेने के लिए कहा। इसी दौरान एंड्रीनो कोमा में चले गए। इसके बाद डॉक्टर्स ने ब्रेन सर्जरी करने का फैसला किया, जो उनकी जिंदगी बचाने के लिए एकमात्र उपाय था। पादरी के सुझाव पर रोचा ने प्रेयर शुरू की। लेकिन जैसे ही सर्जन एंड्रीनो का ऑपरेशन करने के लिए गए, एंड्रीनो उठ चुके थे। उठते ही उन्होंने सर्जन्स से पूछा कि ये क्या हो रहा है? ये दिसंबर 2008 की घटना है। इसके बाद एंड्रीनो पूरी तरह स्वस्थ हो गए, बल्कि दो बच्चों के पिता भी बन चुके हैं।

ये भी किसी चमत्कारी घटना की तरह ही था। स्वस्थ होने को मेडिकल साइंस एक्सप्लेन नहीं कर सका। ये रिपोर्ट नहीं हुआ, लेकिन कुछ लोग कहते हैं, क्योंकि सर्जन कैथोलिक नहीं था। ऐसा कहा जाता है कि पोप फ्रैंसिस के 2013 में ब्राजील दौरे के बाद सर्जन को एंड्रीनो के केस के बारे में पादरी को बताना पड़ा। इस तरह ये मामला सार्वजनिक तौर पर सामने आया। इसके बाद कई घटनाएं सामने आईं।

इसके बाद फिर से चमत्कार की पुष्टि करने की प्रक्रिया हुई। संतों के समूह ने मेडिकल एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट को आखिरकार सितंबर 2015 में स्वीकार किया। इसे पोप फ्रैंसिस की मंजूरी के लिए भेजा गया। पोप फ्रांसिस ने 17 दिसंबर, 2015 को इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। जिसके बाद मदर टेरेसा की संत पदवी को मंजूरी दे दी गई।

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