अद्धयात्म

इन वस्तुआें से प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी, जानिए पूजन की संपूर्ण विधि

दस्तक टाइम्स/एजेंसी-  diwali-1445938624दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हर घर में उनका पूजन होता है। इसके लिए वैभव की नहीं बल्कि श्रद्धा की आवश्यकता होती है। पूजन करते समय शुद्ध एवं सात्विक भाव होना चाहिए। लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएं विशेष प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। आगे पढ़िए, कैसे करें मां लक्ष्मी का पूजन…

यूं करें पूजन की तैयारीः चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार स्थापित करें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ  बैठें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में।
इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें। मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच शुभ-लाभ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें जिनमें पूजन सामग्री एवं बही-खाते रखने चाहिए। 
ये वस्तुएं है ज्यादा प्रियः लक्ष्मीजी को लाल, गुलाबी या पीले रंग के रेशमी वस्त्र प्रिय हैं। पुष्पों में कमल व गुलाब प्रिय है। फलों में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़ा प्रिय हैं। साथ ही सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग पूजा में की जाए तो माता शीघ्र प्रसन्न होती है। लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए चावल के पक्वान तथा  घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवे का भोग अर्पित करना चाहिए।

 

पूजन में इनका करें उपयोगः गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली के तेल से दीपक जलाना चाहिए। इससे माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही पूजन में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर,  सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए। 

 

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