महिलाओं का नि:संतानता होना किसी भारी बोझ से कम नहीं है। यूं तो यह समस्या पुरुषों में भी पाई जाती है, लेकिन इस तकलीफ से जितनी मानसिक प्रताड़ना महिलाओं को होती है, उसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।
इन्दिरा आई वी एफ बरेली सेंटर की आई वी एफ स्पेशलिस्ट श्रुति घाटे बताती हैं कि महिलाओं में यह समस्या मुख्यतः मुख्यत: इन कारणों के चलते होती है:
-फैलोपियन ट्यूब यानी गर्भनलियो का बंद होना
– यूटरस संबंधी समस्याएं जैसे – छोटा गर्भाशय, गांठ, रसौली/कैंसर या टीबी
– एग का नहीं बनना
– पीसीओडी (पॉलिसिस्टिक ओवरी डीजीजेज)
– ल्यूकोरिया, डायबीटीज, अनीमिया, मोटापा आदि
महिलाओं में बांझपन से जुड़ी सभी बीमारियों को मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांटा जा सकता है। पहली- फैलोपियन ट्यूब्स मतलब गर्भनली, दूसरी- गर्भाशय से जुड़ी समस्या एण्डोमेट्रियम और तीसरी- अंडाशय से जुड़ी समस्या पॉलिसिस्टिक ओवरी डीजीजेज’ या ‘पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम ‘। इतनी गंभीर समस्याओं के बाद भी लेटेस्ट तकनीक आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) से महिलाओं को मां बनने का सुख प्राप्त हो सकता है।इन्दिरा आई वी एफ द्वारका दिल्ली सेंटर की आई वी एफ स्पेशलिस्ट डॉ. रेखा बरार का कहना है कि इनफर्टिलिटी प्रॉब्लम यानी नि:संतानता से पीड़ित महिलाओं में सबसे ज्यादा समस्या फैलोपियन ट्यूब्स मतलब गर्भनलियों से जुड़ी होती हैं। कुछ महिलाओं में ट्यूब न होने की समस्या होती है तो कुछ में ट्यूब में रुकावट या संक्रमण से जुड़ी समस्या होती हैं।
क्या काम करती है गर्भनली/फैलोपियन ट्यूब:
महिला के शरीर में दो ट्यूब होती हैं| हर महीने ओवरी से अंडा फैलोपियन ट्यूब में आता है इस दौरान सम्बन्ध बनने पर शुक्राणु अंडे में प्रवेश कर जाता है जिससे भ्रूण बनने की प्राथमिक प्रक्रिया पूरी हो जाती है इसके बाद भ्रूण गर्भाशय में चला जाता है और जन्म तक यही विकसित होता है।
फैलोपियन ट्यूब में अगर ब्लॉकेज हो तो इसे दवाओं के माध्यम से ठीक किया जाता है लेकिन कई मामलो में दवा बेअसर होती है ऐसे में कैन्यूलाइजेशन तकनीक के तहत एक पतले तार के जरिए ब्लॉकेज हटाया जाता है। अगर ट्यूब में ब्लॉकेज ज्यादा हो तो प्रभावित हिस्से को हटाकर बाकी हिस्से को टांकें लगाकर जोड़ा जाता है। ट्यूब खुलने के बाद भी प्राकृतिक रूप से गर्भधारण की संभावना कम ही रहती है ऐसे में इसे खुलवाये बिना आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) की मदद से गर्भधारण किया जा सकता है । इसमें महिला की ओवरी से एग बाहर निकालकर लैब में पुरुष के स्पर्म से फर्टिलाइज किया जाता है । 2-3 दिन बाद इसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस प्रकार ट्यूब में होने वाली प्रक्रिया को लैब में किया जाता है इसके बाद सारी प्रक्रिया सामान्य गर्भधारण जैसी ही है |
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या :
इंदिरा आईवीएफ के देहरादून सेंटर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ.रितु पुन्हानी बताती है, एंडोमेट्रियोसिस ओवरी में होने वाली समस्या है। 25-40 आयुवर्ग की महिलाओं में पेट दर्द और गर्भधारण न कर पाने की यह काफी बड़ी वजह है। इस समस्या के होने पर एंडोमेट्रियम को ढकने वाली टिश्यूज ओवरीज या गर्भाशय के आसपास की जगहों पर विकसित होने लगती हैं। पीरियड्स के दौरान खून की गांठे ओवरी में जमा होने लगती है। इस वजह से आंतें, ट्यूब्स और ओवरीज आपस में चिपक जाती हैं। यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे ट्यूब और ओवरीज को नुकसान पहुंचता है, जो बांझपन का कारण बन सकता है। समय पर इसका इलाज न हो तो पेल्विक यानी पेड़ू में सूजन आ जाती है। इस तकलीफ में महावारी के दौरान महिला को असहनीय दर्द से जूझना पड़ता है।
क्या है इलाज: एंडोमेट्रियोसिस के उपचार के रूप में हार्मोंनल दवा या महीने में एक इंजेक्शन दिया जाता है। हालांकि, यह पक्का इलाज नहीं है और इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं। एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से ग्रस्त महिला संतान चाहती हैं, तो इसके लिए आईयूआई और आईवीएफ जैसी स्पेशल ट्रीटमेंट मौजूद हैं।
PCOD/PCOS ( ‘पॉली सिस्टिक ओवरी डीजीजेज’ या ‘पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’):
इंदिरा आईवीएफ चंडीगढ़ की आईवीएफ स्पेशलिस्ट हिना अली का कहना है कि PCOD/PCOS पीरियड से जुड़ी समस्या है। यह समस्या अगर कम उम्र में पता चल जाए तो इसका इलाज बेहतर हो सकता है। इसमें महिला के गर्भाशय में मेल हार्मोन Androgen का स्तर बढ़ जाता है परिणामस्वरूप ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि यह समस्या महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, मोटापा या तनाव के कारण उत्पन्न होती हैं। कई मामलों में जैनेटिकली भी यह समस्या पाई जाती है। शरीर में अधिक चर्बी होने की वजह से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे ओवरी में सिस्ट बनता है।
PCOD / PCOS की समस्या से पीड़ित महिलाएं प्राकृतिक जगहों पर सैर करें, तनाव से दूर रहें, वजन कम रखें जिससे माहवारी समय पर रहे, व्यायाम करें। पैदल घूमना, जॉगिंग, योग, डांस, एरोबिक्स, साइक्लिंग, स्विमिंग आदि व्यायाम भी इसमें कारगर है। साथ ही खान-पान का भी ध्यान रखें। डाइट में फल, हरी सब्जियां, विटामिन बी युक्त आहार, खाने में ओमेगा 3 फेटी एसिड्स से भरपूर चीजें शामिल करें।
क्या है इसका इलाज ? इसका इलाज काफी जटिल है। कुछ मामलों में सर्जरी की जाती है तो कुछ मामलों में दवाएं भी दी जाती हैं, जो कि अलग-अलग लक्षण के आधार पर दी जाती हैं।
महिला की इन समस्याओ में प्राकृतिक गर्भधारण मुश्किल हो जाता है इस परिस्थिति में जांचो के बाद आईवीएफ तकनीक लाभदायक साबित हो सकती है | आईवीएफ तकनीक का आविष्कार महिला नि: संतानता के कारण ट्यूब ब्लॉक के उपचार के लिए हुआ था, अब इसकी विभिन्न तकनीको से जटिल समस्याओ में भी गर्भधारण किया जा सकता है|