इन 5 चेहरों में से कोई एक हो सकता है राष्ट्रपति के लिए….
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हालांकि सबकी निगाह इसी बात पर टिकी है कि हमेशा की तरह प्रधानमंत्री कोई नया चेहरा लाकर एक बार फिर सबको चौंकाते हैं या किसी पुराने चेहरे को आगे कर जीत का बंदोबस्त करते हैं। हालांकि यूं तो अभी पार्टी की तरफ से खुलकर कोई ऐसा संकेत नहीं दिया गया है जिससे अंदाजा लगाया जा सके कि पीएम मोदी किसे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाते हैं लेकिन फिर भी कुछ चेहरे ऐसे हैं जिन पर सबसे ज्यादा उम्मीद की जा रही है। तो चलिए आइए डालते हैं ऐसे ही कुछ संभावित चेहरों पर एक निगाह।
द्रौपदी मुर्मू
झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मु का नाम पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चाओं में बना हुआ है। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की पहली पसंद बताया जा रहा है। उसकी बड़ी वजह ये भी है कि अभी तक देश में दलित भी राष्ट्रपति बन चुके हैं और अल्पसंख्यक भी, लेकिन कोई आदिवासी आज तक इस पद पर नहीं पहुंचा है।
ऐसे में सामाजिक समरसता का बड़ा उदाहरण पेश करते हुए भाजपा मुर्मु को आगे कर सकती है। उत्कल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट मुर्मु भाजपा के उस अभियान में भी फिट बैठती हैं जिसके सहारे पार्टी उड़ीसा जैसे बड़े राज्य में खुद को सत्ता तक पहुंचाने की कवायद कर रही है। दो बार उड़ीसा की विधायक रही मुर्मु का नाम राज्यपाल के लिए भी इसी तरह चौंकाते हुए सामने आया था।
इस पद के लिए चौथा बड़ा नाम है केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का। मोदी कैबिनेट की सबसे योग्य और सक्रिय मंत्री के रूप में सुषमा ने अपनी पहचान बनाई है। हर मोर्चे पर वह सबसे आगे खड़ी दिखाई देती हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से उन्हें लगातार स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। चर्चाएं ये भी हैं कि इसके चलते वह भी काफी समय से सक्रिय राजनीति से विराम लेना चाहती हैं। अगर इन खबरों पर यकीन किया जाए तो तय है कि पार्टी सुषमा का नाम राष्ट्रपति पद के लिए आगे बढ़ा सकती है। सुषमा के नाम पर न ही पार्टी में किसी को आपत्ति होगी न ही संघ को, दूसरे दलों में भी उन्हें काफी लोकप्रिय माना जाता है।
लालकृष्ण आड़वाणी
कभी पार्टी के शिखर पुरुष रहे लालकृष्ण आडवाणी आज मार्गदर्शक मंडल में रहकर अघोषित वनवास काट रहे हैं। तमाम योग्यताओं के बाद भी हालातों के चलते प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में असफल रहे आडवाणी को लंबे समय से राष्ट्रपति पद का स्वभाविक दावेदार माना जाता है। हालांकि वर्तमान में हालात उनके मुफीद नहीं दिखाई देते लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी में उनके समर्थकों की संख्या आज भी कम नहीं है। राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज सिंह जैसे बड़े नेताओं की गिनती उनके शिष्यों के तौर पर होती है और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी कभी उनका शिष्य माना जाता था। ऐसे में पार्टी उनकी वफदारियों का इनाम उन्हें दे सकती है।