ईपीएफ पर कर प्रस्ताव को लेकर सरकार नरम, बदलाव पर करेगी विचार
दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली : चौतरफा आलोचनाओं के बीच सरकार ने भविष्य निधि से निकासी पर कर लगाने के बजट प्रस्ताव को आंशिक रूप से वापस लेने पर विचार करने का मंगलवार को वादा किया।
इस संदर्भ में एक-दो स्पष्टीकरण आयें। इसमें से एक में कहा गया है कि सरकार केवल ब्याज पर कर लगाएगी और मूल राशि के निकासी पर नहीं। बाद में एक प्रेस नोट जारी कर कहा गया कि वह केवल संचयी ब्याज पर कर लगाने की मांग पर विचार कर रही है।
वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि जिन लोगों का वेतन सांविधिक सीमा 15,000 रुपये मासिक से कम है, उन पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
सिन्हा ने कहा, ‘‘चूंकि कई लोगों ने इसको लेकर विरोध जताया है, हम इस पर गौर कर रहे हैं। निर्णय का इंतजार कीजिए।’’ राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने भी कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय से पहले केवल ब्याज पर कर लगाने की मांग पर विचार किया जाएगा।
इससे पहले, दिन में अधिया ने कहा था कि ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) में एक अप्रैल 2016 के बाद के योगदान पर मिलने वाले ब्याज के 60 प्रतिशत पर ही कर लगेगा और निकासी के समय मूल राशि पर कोई कर नहीं लगेगा।
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार नये कर प्रस्ताव का मकसद केवल उच्च वेतन पाने वालों पर कर लगाना है और इनकी संख्या कर्मचारी भविष्य निधि के कुल 3.7 करोड़ अंशधारकों में से केवल 70 लाख है। करीब 3.0 करोड़ व्यक्तियों की सांविधिक वेतन सीमा 15,000 रपये प्रति महीने के दायरे में आती हैं, अत: प्रस्तावित बदलाव से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कल 2016-17 का बजट पेश करते हुए कहा कि इस साल एक अप्रैल के बाद भविष्य निधि में किये जाने वाले अंशदान में से निकासी के समय कर्मचारियों के योगदान के 60 प्रतिशत पर कर लागू होगा। यह प्रावधान सेवानिवृत्ति कोषों तथा ईपीएफ जैसे मान्यता प्राप्त भविष्य निधि कोषों पर लागू होगा।
उन्होंने मान्यता प्राप्त पीएफ तथा सेवानिवृत्ति कोष में कर लाभ के लिए नियोक्ताओं के अंशदान पर सालाना 1.5 लाख रपये की मौद्रिक सीमा लगाने का भी प्रस्ताव किया है। इस प्रस्ताव का आरएसएस समर्थित बीएमएस समेत विभिन्न कर्मचारी संगठनों तथा राजनीति दलों ने तीखी आलोचना की है और इसे कामकाजी वर्ग पर एक हमला कहा और इसे दोहरा कराधान का स्पष्ट मामला बताा।
मंत्रालय ने कहा कि हमें विभिन्न तबकों से सुझाव मिला है, जिसमें कहा गया है कि अगर कोष का 60 प्रतिशत सेवानिवृत्ति उत्पादों में निवेश नहीं किया जाता है तो कर केवल संचयी रिटर्न पर लगाया जाना चाहिए और न कि अंशदान की राशि पर।’’
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘हमें यह भी सुझाव मिले हैं कि ईपीएफ के तहत नियोक्ताओं के योगदान पर कोई मौद्रिक सीमा नहीं लगायी जानी चाहिए क्योंकि एनपीएस में ऐसी कोई सीमा नहीं है। वित्त मंत्री इन सभी सुझावों पर विचार करेंगे और इस पर उपयुक्त समय में निर्णय करेंगे।’’ मंत्रालय ने कहा कि इस सुधार का मकसद कर व्यवस्था में बदलाव लाना है ताकि निजी क्षेत्र के ज्यादा-से-ज्यादा कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भविष्य निधि से पूरी राशि निकालने के बजाए पेंशन सुरक्षा की ओर अग्रसर हों।
इसके लिये सरकार ने घोषणा की है कि सेवानिवृत्ति के समय कुल कोष में से 40 प्रतिशत निकासी पर कोई कर नहीं लगेगा और यह मान्यता प्राप्त भविष्य निधि तथा एनपीएस दोनों पर लागू होगा।