देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने से जुड़ी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि शनिवार को हाईकोर्ट में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। माना जा रहा है अदालत सोमवार को अपना विस़्तृत फैसला दे सकती है। इसमें बागी विधायकों ने उनकी सदस्यता रद्द करने के विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी है।
ये विधायक नहीं कर पाएंगे वोटिंग
विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के नौ विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी इसमें अमृता रावत, हरक सिंह रावत, प्रदीप बतरा, प्रणव सिंह, शैला रानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा, विजय बहुगुणा के नाम शामिल है।
10 मई को होगा फ्लोर टेस्ट
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में 10 मई को होने वाले फ़्लोर टेस्ट से बाग़ी विधायकों को वोटिंग से दूर रहने का आदेश दिया था। राज्य में 2 घंटे (11 से 1 बजे तक) के लिए राष्ट्रपति शासन नहीं रहेगा और वोटिंग की वीडियोग्राफी भी की जाएगी। इसका नतीजा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाएगा। इस मामले पर आज हो रही सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि वह उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने दिया था राष्ट्रपति शासन को हटाने का फैसला
दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला दिया था, जिसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। मंगलवार को कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्यों न पहले कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामेश्वर जजमेंट का हवाला भी दिया था। बता दें कि फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।
यह है पूरा मामला
18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की भाजपा की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद प्रदेश में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई थी। गौरतलब है कि उत्तराखंड के चल रहे सियासी संकट के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सीबीआई ने स्टिंग मामले की जांच के सिलसिले में पेश होने का समन जारी किया है। इस स्टिंग के कथित तौर पर उन्हें एक पत्रकार से बागी विधायकों का फिर से समर्थन हासिल करने के लिए डील करते हुए दिखाया गया था।