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उत्तराखंड में मिड-डे मील को लेकर सामने आई ऐसी हकीकत, पढ़कर हैरानी में पड़ जाएंगे

प्राइमरी और उच्च प्राथमिक स्कूलों में मिड-डे मील योजना को लेकर यहां ऐसी हकीकत सामने आई है कि, आप भी यकीन नहीं कर पाएंगे। उत्तराखंड में बच्चों को मिड डे मिल के तहत अतिरिक्त पोषण के नाम पर अंडे की जगह मूंगफली बांटीं रही हैं।उत्तराखंड में मिड-डे मील को लेकर सामने आई ऐसी हकीकत, पढ़कर हैरानी में पड़ जाएंगे

 

राज्य परियोजना निदेशक की निरीक्षण में यह यह बात सामने आई है कि जो मेन्यू निर्धारित है उसका अनुपालन नहीं हो रहा है। सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के राज्य परियोजना निदेशक ने सभी मुख्य शिक्षाधिकारियों को पत्र लिखने के साथ ही जिलाधिकारियों को जिला स्तरीय समिति गठित कर जांच कराने की बात कही है।

उल्लेखनीय है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राइमरी और उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को मिड-डे मील दिया जाना है, जिसके तहत प्राइमरी स्कूल के बच्चों को प्रतिदिन 100 ग्राम चावल, 20 ग्राम दाल, 50 ग्राम सब्जी दी जानी चाहिए।

जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को प्रतिदिन 150 ग्राम चावल, 30 ग्राम दाल, 75 ग्राम सब्जी और 7.5 ग्र्राम तेल दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों के पोषण स्तर में और अधिक सुधार के लिए प्रति सप्ताह, प्रति बच्चा पांच रुपये अतिरिक्त दिए जा रहे हैं।

मानकों के अनुसार प्राथमिक स्कूल के बच्चों को प्रतिदिन 450 कैलोरी, उच्च प्राथमिक के बच्चों को 700 कैलोरी युक्त भोजन मुहैया कराया जाना है। इसके लिए बच्चाें को अंडा, फल और चौलाई के लड्डू दिए जाने चाहिए, लेकिन कई स्कूलों मेें इन मानकों को पालन नही किया जा रहा है। अतिरिक्त पोषण के नाम पर बच्चों को अंडा और फल की जगह मूंगफली दी जा रही है। इसका खुलासा पिछले दिनों स्कूलों के निरीक्षण के दौरान हुआ था।

इस पर एसएसए के राज्य परियोजना निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए सभी मुख्य शिक्षाधिकारियोें को पत्र लिखा है। परियोजना निदेशक कैप्टन तिवारी ने जिलाधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे भी अपने स्तर पर नियमित समीक्षा करें ताकि योजना को कड़ाई से लागू कराया जा सके।

 
 

 

 

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