उत्तर प्रदेशराज्य
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत कंधे की तलाश
दस्तक टाइम्स एजेंसी/उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए कांग्रेस को मजबूत कंधे की तलाश है। बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन के कांग्रेसी प्रयासों को तवज्जो नहीं दी है। लिहाजा अब पार्टी को छोटे दलों के साथ पर ही संतोष करना पड़ेगा। समाजवादी पार्टी भी अपने बूते ही चुनावी मैदान में उतरना चाहती है।
अब कांग्रेस के पास बिहार के महागठबंधन पर ही भरोसा है। इसके अलावा अजित सिंह और अपना दल के एक गुट का साथ कांग्रेस को मिल सकता है। कांग्रेस ने फिलहाल राहुल गांधी के भरोसे की चुनावी बिगुल फूंकने का मन बनाया है। सोनिया गांधी के बाद अब राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं लेकिन इनकी मशक्कत फिलहाल रायबेरली और अमेठी तक ही केंद्रित है।
हर चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को चेहरा बनाने की मांग उठती रही है। इस बार भी एक धड़ा प्रियंका के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की वकालत में जुट गया है। लेकिन गांधी परिवार ने ऐसी मांगों को फिलहाल गंभीरता से नहीं लिया है। लिहाजा प्रियंका की भूमिका रायबरेली और अमेठी तक ही सीमित रहने की संभावना है।
अब कांग्रेस के पास बिहार के महागठबंधन पर ही भरोसा है। इसके अलावा अजित सिंह और अपना दल के एक गुट का साथ कांग्रेस को मिल सकता है। कांग्रेस ने फिलहाल राहुल गांधी के भरोसे की चुनावी बिगुल फूंकने का मन बनाया है। सोनिया गांधी के बाद अब राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं लेकिन इनकी मशक्कत फिलहाल रायबेरली और अमेठी तक ही केंद्रित है।
हर चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को चेहरा बनाने की मांग उठती रही है। इस बार भी एक धड़ा प्रियंका के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की वकालत में जुट गया है। लेकिन गांधी परिवार ने ऐसी मांगों को फिलहाल गंभीरता से नहीं लिया है। लिहाजा प्रियंका की भूमिका रायबरेली और अमेठी तक ही सीमित रहने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपने खिसके जनाधार को फिर से हासिल करने के लिए दलित वोट बैंक पर फोकस किया है। राहुल गांधी ने इसी रणनीति के तहत दलित नेतृत्व विकास सम्मेलन भी किया है और अब आलाकमान ने पी एल पुनिया के नेतृत्व में 37 सदस्यीय दलित एडवाइजरी बोर्ड बना दी है।
इस बोर्ड में चार विधायक, तेरह पूर्व विधायक, तीन पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद हैं। कांग्रेस ने दलित चिंतकों को भी अपने अभियान से जोड़ा है। इस क्रम में लखनऊ के गिरि विकास अध्ययन संस्थान और इलाहाबाद के गोविन्द बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट से जुड़े कुछ दलित चिंतकों को कांग्रेस से जोड़कर बूथ स्तर तक दलित कमेटियां बनाने का प्रयास चल रहा है।
कांग्रेस नेता पीएल पुनिया कहते हैं कि दलित वोट बैंक कांग्रेस का पुराना आधार रहा है। बकौल पुनिया दलितों का अब मायावती से मोहभंग हो रहा है और उनके लिए कांग्रेस बेहतर विकल्प बन सकती है। कांग्रेस ने एडवाइजरी बोर्ड बनाई है जो दलित उत्पीड़न की स्थिति में तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करेगा।
इस बोर्ड में चार विधायक, तेरह पूर्व विधायक, तीन पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद हैं। कांग्रेस ने दलित चिंतकों को भी अपने अभियान से जोड़ा है। इस क्रम में लखनऊ के गिरि विकास अध्ययन संस्थान और इलाहाबाद के गोविन्द बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट से जुड़े कुछ दलित चिंतकों को कांग्रेस से जोड़कर बूथ स्तर तक दलित कमेटियां बनाने का प्रयास चल रहा है।
कांग्रेस नेता पीएल पुनिया कहते हैं कि दलित वोट बैंक कांग्रेस का पुराना आधार रहा है। बकौल पुनिया दलितों का अब मायावती से मोहभंग हो रहा है और उनके लिए कांग्रेस बेहतर विकल्प बन सकती है। कांग्रेस ने एडवाइजरी बोर्ड बनाई है जो दलित उत्पीड़न की स्थिति में तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करेगा।