उप्र : दंगों की जानकारी देने से सरकार का इंकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बीते वर्ष मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्र में हुए साम्प्रदायिक दंगे को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आरटीआई के तहत जानकारी मांगने पर पहले मामले को लटकाए रखने और फिर बाद में गलत दलीलों का हवाला देते हुए सूचना देने में आनाकानी किए जाने का मामला सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग द्वारा उ.प्र. के मुजफ्फरनगर और आस-पास के जनपदों में हुए साम्प्रदायिक दंगों से प्रभावित अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय से आरटीआई अधिनियम के तहत छह बिन्दुओं पर सूचनाएं मांगी गई थीं। लेकिन आरटीआई अधिनियम की समय सीमा में केन्द्रीय गृह मंत्रालय से सूचनाएं प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद प्रथम अपील की गई। इसके बावजूद सूचनाएं नहीं मिलने पर बेग ने सात मार्च 2०14 को यह मामला केन्द्रीय सूचना आयोग में उठाया तब जाकर केन्द्रीय गृह मंत्रालय स्वयं को घिरता देख नींद से जागा और आनन-फानन में संयुक्त सचिव आर.के. मित्रा (एन.आई.)-(सी.पी.आई.ओ.) केन्द्रीय गृह मन्त्रालय एच.आर. विभाग का पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में उन्होंने आर.टी.आई. अधिनियम की धारा आठ (एच) का हवाला देते हुए सूचनाएं देने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही पॉइंट नं. पांच व छह का हवाला सर्वोच्च न्यायालय में इस प्रकरण की मॉनीटरिंग किए जाने की वजह से सूचना देने से इंकार किया गया जबकि नियमानुसार सभी सूचनाएं सीधे जनहित से जुड़ीं थीं जो कि नियमानुसार मिलनी चाहिए थीं।