सुप्रीम कोर्ट का निर्देश- फर्जीवाड़ा मामले में आजम खान और उनके बेटे को दी जाए जमानत
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां और उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्लाह को जमानत दी जाए। हालांकि, अदालत ने कहा कि यह दो हफ्ते के अंदर निचली अदालत द्वारा शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने पर निर्भर करेगा। शीर्ष अदालत ने कथित धोखाधड़ी और दूसरा पैन कार्ड पाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के आरोप के एक मामले में यह निर्देश दिया।
आजम खां पर आरोप है कि उन्होंने अपने नाबालिग बेटे का दूसरा पैन कार्ड बनवाने के लिए जाली दस्तावेजों के जरिए गलत जन्मतिथि दिखाने में मदद की थी। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकि वह उत्तर प्रदेश में रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से साल 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ सकें। बता दें कि इस मामले में जमानत मिलने के साथ आजम खां को दो मामलों के अलावा सभी प्राथमिकियों में जमानत मिल गई है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि मामले में आरोपपत्र दाखिल हो गया है, जो कि ज्यादातर दस्तावेजी साक्ष्यों से संबद्ध है। ऐसे में निचली अदालत दो सप्ताह में शिकायतकर्ता का बयान दर्ज करने के बाद आजम खां और उनके बेटे को जमानत दे। पिछले साल 26 नवंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
एएसजी एसवी राजू ने किया जमानत याचिका का विरोध
वहीं, सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया। उन्होंने कहा कि वे दोनों (आजम खां और उनके बेटे) आदतन अपराधी हैं और उनके खिलाफ 87 प्राथमिकियां दर्ज हैं। इनमें फर्जी दस्तावेजों के जरिए अरबों रुपये की एक शत्रु संपत्ति की जमीन पर कब्जा करने का एक मामला भी शामिल है। उन्होंने कहा कि दोनों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वो फरार थे।