उप्र में है गोबर से बनी 3०० वर्ष पुरानी हनुमान प्रतिमा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के निगोहां में 3०० वर्ष पुराने एक मंदिर में अंजनी पुत्र हनुमान की ऐसी प्रतिमा है जो गाय के गोबर से निर्मित है। यह मंदिर भक्तों के बीच अस्था का केंद्र है और इसका अपना ही महत्व है। निगोहा के उतरावां गांव के मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति लगभग 3०० वर्ष पुरानी है। यह प्रतिमा गाय के गोबर और मिप्ती से निर्मित है। मान्यता है कि गाय की पूंछ में हनुमान जी का वास होता है और इस मंदिर में स्थापित गाय के गोबर और मिप्ती से निर्मित हनुमान प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं। मंदिर प्रांगण में ही शिवालय भी है जिसकी हालत काफी जर्जर हो चुकी है। हनुमान जी की मूर्ति और शिवालय की गुंबद व दीवारों की स्थिति को देखकर मंदिर की प्राचीनता का अनुमान हो जाता है। कहते हैं कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भक्तों ने पिछले चार दशकों में मंदिर का जीर्णोद्धार करने का प्रयास किया लेकिन जीर्णोद्धार करते समय अड़चनें आ जाती हैं और काम बीच में रुक जाता है। ग्रामीण बताते है कि वर्ष 2०12 में मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए जेसीबी मशीन खुदाई हेतु लाई गई लेकिन जैसे ही जेसीबी मशीन आई और खुदाई शुरू की गई जेसीबी मशीन खराब हो गई। यही सिलसिला दो बार हुआ। नागा समुदाय महात्माओं ने बताया कि मंदिर प्रांगण में ही चार साधुओं की समाधि है यदि समाधि और साधना स्थल अलग-अलग कर निर्माण कराया जाए तो समस्या नहीं होगी। नव जीवन इंटर कालेज मोहनलालगंज लखनऊ के पूर्व प्रवक्ता और कवि राम कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि मंदिर में पहली समाधि बाबा जगन्नाथ दास की है जिन्होंने 1835 में अपना शरीर छोड़ा था।
उतरावां गांव की निवासिनी रामकुमारी सिंह बताती है कि इस मंदिर में भोलेनाथ और बजरंग बली के दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और बड़े से बड़ा संकट टल जाता है। मंदिर में प्रत्येक मंगलवार को श्रद्धालुओं द्वारा सुंदरकांड का पाठ किया जाता है और बजरंगबली की मूर्ति का चमेली के तेल और सिंदूर से अभिषेक किया जाता है।