
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र गुरुवार से शुरू होने जा रहा है। विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है तो सरकार भी विपक्ष के वार का जवाब देने की तैयारियों में जुटी है। एक ओर जहां गन्ना किसानों के मुद्दे की गूंज विधानसभा में सुनाई देगी वहीं मुजफ्फरनगर हिंसा की तपिश भी सदन में महसूस किए जाने की संभावना है। विधानमंडल का शीतकालीन सत्र पांच दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। विपक्ष के हाथ में इस बार कई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर सरकार को जवाब देना काफी कठिन होगा। पश्चिमी उप्र सहित पूरे सूबे में गन्ना किसानों का मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्षी दलों ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि सरकार को इसका जवाब सदन के भीतर देना होगा। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की उप्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि गन्ने के मुद्दे को लेकर पार्टी पहले से ही सड़क पर लड़ाई लड़ रही है और अब सदन के भीतर भी लड़ी जाएगी। सरकार को गन्ना किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। गन्ने के मुद्दे के अलावा मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद वहां राहत शिविरों में रह रहे लोगों की बदतर स्थिति का मुद्दा भी सदन में उठने की संभावना है। सरकार ने हालांकि मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद वहां रह रहे लोगों के लिए कई फैसले भी लिए हैं। गन्ना मुजफ्फरनगर हिंसा के अलावा धान खरीद का मुद्दा भी सरकार के गले की फांस बनेगा। कई जिलों में धान की खरीद में काफी अनियमितता बरती गई तो कई जगहों पर धान की खरीद नहीं हुई है। साथ ही कानून व्यवस्था का मुद्दा भी विपक्ष के पास है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा गन्ना का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा। गन्ना किसानों के साथ जो खिलवाड़ सरकार कर रही है उसका जवाब उसे सदन के भीतर देना पड़ेगा। इसके अलावा धान खरीद और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार से सवाल जवाब किया जाएगा। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने कहा कि सत्र के दौरान गन्ना किसानों का मुद्दा पार्टी प्रमुखता से उठाएगी। इसके अलावा कानून व्यवस्था और विकास का मुद्दा भी अहम रहेगा। राजभर ने कहा कि एक ओर जहां सरकार गन्ना किसानों के साथ भेदभाव कर रही है वहीं सरकार ने अब तक विकास के नाम पर कुछ नहीं किया है।